ऊर्जा क्षेत्र की वैश्विक दिग्गज कंपनी बीपी पीएलसी ने आज प्राकृतिक गैस को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की वकालत की है। इंडिया एनर्जी फोरम को संबोधित करते हुए कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी बर्नार्ड लूनी ने कहा, ‘संघीय ढांचे में भारत में कारोबार सुगम करने के लिए जीएसटी स्वागत योग्य कदम है। हमारा मानना है कि गैस को इसके दायरे में लाए जाने की जरूरत है।’ इस समय पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय भी प्राकृतिक गैस को जीएसटी व्यवस्था में लाने की वकालत कर रहा है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी वित्त मंत्रालय से अपील की है किप्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।
कंपनी ने संकेत दिए कि उसका मानना है कि सरकार की ओर से प्रतिबद्धता भारत में कारोबार को सुगम बनाएगा। लूनी ने प्रधानमंत्री के गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर जाने के विजन का स्वागत किया और कहा कि पाइपलाइन शुल्क को एकसमान करना और पहले गैस एक्सचेंज की स्थापना सकारात्मक संकेत हैं। भारत अपने ऊर्जा में प्राकृतिक गैस का हिस्सा कुछ वर्षों में मौजूदा 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करना चाहता है।
लूनी ने कहा कि भारत की ऊर्जा में कोयले की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से ज्यादा थी, जो जल्द ही 40 प्रतिशत से नीचे चली जाएगी क्योंकि प्राकृतिक गैस व अक्षय ऊर्जा का हिस्सा बढ़ रहा है। कंपनी को उम्मीद है कि भारत में अक्षय ऊर्जा व प्राकृतिक गैस की कुल ऊर्जा में हिस्सेदारी मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़कर 2050 तक 70 प्रतिशत पहुंच जाएगी, जिससे भारत उसके ऊर्जा कारोबार की रणनीति के हिसाब से अनुकूल देश बन जाएगा। लूनी ने कहा कि सभी तीन क्षेत्रों में भारत कंपनी का प्रमुख बाजार है।
उन्होंने कहा, ‘हाइड्रोकार्बन के लिए हमने रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ संयुक्त उद्यम बनाया है। कम कार्बन के कारोबार में भी हमने अपनी उपस्थिति बनाई है और भारत में आवाजाही तेज होने के साथ अगले 20 साल तक ईंधन बाजार बढ़ेगा।’
