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क्या पाम ऑयल खो रहा दुनिया के सबसे सस्ते खाद्य तेल का ताज? पिज्जा से लेकर आइसक्रीम, शैम्पू तक में होता है यूज

दिलचस्प बात यह भी है कि ऐसा उस स्थिति में हुआ है जब सोयाबीन, सूरजमुखी और रेपसीड यानी कैनोला जैसी फसलों की कटाई सीमित होती है और पाम ऑयल की साल भर कटाई की जाती है।

Last Updated- September 26, 2024 | 3:42 PM IST
Palm oil loses position as world's cheapest edible oil as output shrinks क्या पाम ऑयल खो रहा दुनिया के सबसे सस्ते खाद्य तेल का ताज? पिज्जा से लेकर आइसक्रीम, शैम्पू तक में होता है यूज

Palm oil Price: अब तक दुनिया के सबसे सस्ता खाद्य तेल के नाम से जाने जाने वाले पाम तेल के उत्पादन में गिरावट आ गई है। कई अन्य विकल्पों के मार्केट में आ जाने की वजह से पाम ऑयल अब उस स्थिति में नहीं है, जैसा पहले हुआ करता था। नवंबर 2022 के समय पाम ऑयल सोयाबीन तेल (tropical oil) के मुकाबले 782 डॉलर प्रति टन के डिस्काउंट यानी कम दाम पर कारोबार कर रहा था। लेकिन, आज पाम ऑयल प्रीमियम रेट (बढ़त) पर कारोबार करने लगा है। यह जानकारी ब्लूमबर्ग ने दी।

दिलचस्प बात यह भी है कि ऐसा उस स्थिति में हुआ है जब सोयाबीन, सूरजमुखी और रेपसीड यानी कैनोला जैसी फसलों की कटाई सीमित होती है और पाम ऑयल की साल भर कटाई की जाती है। इसके अलावा भी, पाम के लिए कम जमीन की जरूरत होती है, जिससे यह आमतौर पर सस्ता भी रहता है।

इंडोनेशिया और मलेशिया से होती है दुनियाभर की 85% सप्लाई, मगर अब कम लगाई जा रही पाम फसलें

दुनियाभर को होने वाली पाम ऑयल की सप्लाई का 85% हिस्सा इंडोनेशिया और मलेशिया से पूरा होता है और अब ये देश चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। छोटे किसान पुराने पेड़ों को काटने और नए पेड़ लगाने से हिचकिचा रहे हैं क्योंकि नए पेड़ों से फल आने में चार से पांच साल लगते हैं, जबकि सोयाबीन के लिए यह अवधि लगभग छह महीने है।

अमेरिका जैसे देशों में इस साल पाम की कीमतों (Palm Prices) में 10% की वृद्धि हुई है, जबकि बेहतर फसल संभावनाओं के चलते सोयाबीन तेल की कीमतें 9% कम हुई हैं। हालांकि, पाम तेल की अनूठी क्वालिटी की वजह से निकट भविष्य में बहुत बड़े बदलाव की संभावना कम है। इसलिए पाम ऑयल कई क्षेत्रों के लिए आकर्षक बन जाता है।

क्या पाम ऑयल की जगह ले पाएगा कोई और खाद्य तेल

पतंजलि फूड्स लिमिटेड के उपाध्यक्ष आशीष आचार्य का कहना है कि भारत में कुकीज बनाने वाले (cookie makers), रेस्तरां और होटल जैसे प्रमुख यूजर्स तुरंत पाम ऑयल की जगह दूसरे तरह के तेल यानी विकल्पों की तलाश में नहीं हैं। हालांकि घरेलू खपत में कुछ असर देखने को मिल सकता है। इंडोनेशिया की बायोडीजल मांग भी पाम तेल की कीमतों को सपोर्ट करेगी। बता दें कि पतंजलि फूड्स लिमिटेड भारत के टॉप एडिबल ऑयल आयातकों में से एक है।

कहां-कहां यूज होता है पाम ऑयल

पाम ऑयल अक्सर सभी जगह उपलब्ध रहने वाले पिज्जा और आइसक्रीम से लेकर शैम्पू और लिपस्टिक तक में पाया जाता है। पशु आहार निर्माता भी इसे एक घटक के रूप में उपयोग करते हैं, जबकि कुछ देश इसे जैव ईंधन (biofuels) में बदलते हैं।

क्या होगा पाम ऑयल के दामों में सुधार? कब घटेगा रेट

विशेषज्ञ यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि जैसे-जैसे मौसमी सीजन की सप्लाई और मांग में अहम भूमिका निभाने वाले फैक्टर्स पर असर पड़ेगा, वैसे-वैसे पाम तेल के बाजार में फिर से सुधार देखा जा सकता है। भारत में दिसंबर और जनवरी में पाम तेल की खपत आमतौर पर घट जाती है, क्योंकि यह कम तापमान पर जम जाता है। इससे उपभोक्ता दूसरे तरह के तेलों की तलाश करते हैं।

कैलिसवारी इंटरकांटिनेंटल में ट्रेडिंग और हेजिंग स्ट्रैटेजी के हेड ज्ञानशेखर त्यागराजन (Gnanasekar Thiagarajan) ने कहा, ‘एक बार जब भारत में त्योहारों की मांग कम हो जाएगी और दक्षिण पूर्व एशिया में पाम के उच्च उत्पादन का मौसम शुरू हो जाएगा, तो यह प्रीमियम खत्म हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो पाम तेल की जगह सोया और सूरजमुखी तेल ले सकते हैं और यह भारत में अपनी बड़ी हिस्सेदारी को खो सकता है।

First Published - September 26, 2024 | 3:42 PM IST

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