शुक्रवार को पिछले कारोबारी सत्र में अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचने के बार सोमवार को कारोबारी सत्र के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया 88.33 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। डीलरों का कहना है कि भारतीय वस्तु निर्यात पर अमेरिका द्वारा उच्च शुल्क लगाने को लेकर चिंता बढ़ने से ऐसा हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप किया, जिसके कारण कारोबार के अंत तक रुपये को हुए नुकसान की भरपाई हुई और शुक्रवार के मुकाबले स्थिर होकर प्रति डॉलर 88.20 पर बंद हुआ।
चालू वित्त वर्ष में अब तक रुपये में 3.10 प्रतिशत की गिरावट आई है। अगस्त महीने में इसमें 0.69 प्रतिशत की गिरावट आई है। बाजार प्रतिभागियों ने कहा कि सोमवार को अमेरिकी बाजार बंद था, इसकी वजह से मात्रा कम रही और रुपये में असामान्य उतार चढ़ाव से बचाव हुआ है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘दोपहर के सत्र को छोड़कर पूरे दिन डॉलर की बोली बेहतर रही और केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप के बाद डॉलर के मुकाबले रुपया 88.12 पर आया।’अधिकांश प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है और वर्तमान में 2025 में उभरते बाजारों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा के रूप में है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक इक्विटी और डेट दोनों में अपनी हिस्सेदारी कम करना जारी रखे हुए हैं, क्योंकि इस बात की चिंता है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के बाद भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक है। एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी ने कहा कि अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों के आयात पर लगाए गए शुल्क के कारण बाजार की धारणा प्रभावित हुई है।