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भारतीय कपास संघ का 325-330 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान, 2024-25 में था केवल 311 लाख गांठ 

प्रमुख कपास उत्पादक गुजरात और महाराष्ट्र में, कुछ किसानों ने मक्का और मूंगफली जैसी लाभकारी फसलों की ओर रुख किया, जिससे रकबा 3 फीसदी घटकर 107 लाख हेक्टेयर रह गया।

Last Updated- August 18, 2025 | 7:07 PM IST

इस साल रकबे में कमी के बावजूद कपास उत्पादन पिछले साल की तुलना में अधिक रहने की संभावना है। अक्टूबर में शुरू होने वाले 2025-26 सीजन में कपास की पैदावार अधिक रह सकती है। भारतीय कपास संघ (CAI) का अनुमान है कि उत्पादन 325-330 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किलो) रहेगा, जो 2024-25 के 311 लाख गांठ से ज़्यादा है, क्योंकि समय पर हुई बारिश ने सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में फसल की स्थिति को बेहतर बनाया है।

प्रमुख कपास उत्पादक गुजरात और महाराष्ट्र में, कुछ किसानों ने मक्का और मूंगफली जैसी लाभकारी फसलों की ओर रुख किया, जिससे रकबा 3 फीसदी घटकर 107 लाख हेक्टेयर रह गया। फिर भी, जल्दी बुवाई और संतोषजनक वर्षा से बेहतर पैदावार से रकबे में आई कमी की भरपाई होने की उम्मीद है। मध्य भारत में लगभग 200 लाख गांठ का उत्पादन हो सकता है, जबकि दक्षिण भारत में रिकॉर्ड 1 करोड़ गांठ का उत्पादन हो सकता है, जबकि कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बुवाई में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है।

केडिया कमोडिटी की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत में, फसल की परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं, और उत्पादन इस वर्ष 28.5 लाख गांठों की तुलना में 38 लाख गांठों तक पहुँचने की संभावना है। व्यापारियों को समय पर बुवाई के कारण जल्दी आवक की उम्मीद है, जबकि उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य और भारतीय कपास निगम द्वारा खरीद ने किसानों को कई राज्यों में रकबा बनाए रखने या बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय अनुमान थोड़े अलग दिख रहे हैं। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने वैश्विक व्यापार समायोजनों का हवाला देते हुए, 2025-26 के लिए भारत का कपास उत्पादन 5.11 मिलियन टन आंका है, जो 2024-25 के अनुमानित 5.22 मिलियन टन से थोड़ा कम है। इसको लेकर शीर्ष व्यापार निकाय, कॉटन एसोसिएशन इंडिया (CAI) के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने कहा, कि इस साल कपास की फसल की स्थिति बहुत अच्छी है। बहुत कम ही ऐसा होता है कि सभी 10 उत्पादक राज्यों में संतोषजनक बारिश हो. आज की स्थिति में, कपास का रकबा लगभग 3 प्रतिशत पीछे है । पिछले साल इसी समय तक, कपास का रकबा 110 लाख हेक्टेयर था और इस साल लगभग 107 लाख हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी है । हालांकि बुवाई कम है, फिर भी हमें बेहतर पैदावार की उम्मीद है, जिसमें 10 प्रतिशत तक सुधार होने की संभावना है ।

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भारतीय कपास संघ (सीएआई) के अनुसार, 2024-25 के लिए भारत का कपास का अंतिम स्टॉक 47 फीसदी बढ़कर 57.59 लाख गांठ होने का अनुमान है, जो मुख्य रूप से आयात में तीव्र वृद्धि के कारण है। आयात पिछले वर्ष के 15.20 लाख गांठों से दोगुने से भी अधिक बढ़कर 39 लाख गांठ होने का अनुमान है। कपास का उत्पादन 311.40 लाख गांठों पर स्थिर बनी हुई है, जबकि सितंबर तक कुल आपूर्ति 389.59 लाख गांठ रहने का अनुमान है। घरेलू खपत अनुमान को संशोधित कर 314 लाख गांठ कर दिया गया है, हालांकि निर्यात 36 फीसदी घटकर 18 लाख गांठ रह सकता है। जुलाई के अंत तक, स्टॉक 96.77 लाख गांठ था, जिसमें से अधिकांश सीसीआई और व्यापारियों के पास था। 

First Published - August 18, 2025 | 7:07 PM IST

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