थाईलैंड में 11 और 12 अप्रैल को आयोजित दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के चौथे पूर्वी एशिया सम्मेलन के दौरान 10 देशों के आर्थिक ब्लॉक के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर भारत हस्ताक्षर नहीं करेगा।
वाणिज्य मंत्री कमलनाथ इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। वहीं पर सातवीं भारत एशिया बैठक का भी आयोजन किया गया है। सरकारी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस सम्मेलन के दौरान एफटीए पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘एफटीए से जुड़े कुछ मसलों पर अभी बातचीत होनी बाकी है।’ हालांकि कमलनाथ ने फरवरी में कहा था कि पूर्वी एशिया सम्मेलन के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।
अब उम्मीद की जा रही है कि 2009 के मध्य में चुनी जाने वाली नई सरकार ही एफटीए पर समझौता करेगी। भारत एशिया सम्मेलन मुख्य रूप से दोनों पक्षों के संबंधों पर केंद्रित है, इसमें चीन, जापान और कोरिया भी शामिल हो रहे हैं।
कारोबार के जानकार और रिसर्च ऐंड इनफारमेशन सिस्टम फार डेवलपिंग कंट्रीज (आरआईएस) के डॉयरेक्टर जनरल नागेश कुमार ने कहा कि एफटीए, एशिया-भारत संबंधों का एक हिस्सा मात्र है। सहयोग के अन्य मसले भी है, जिन पर इस सम्मेलन के दौरान बातचीत होनी है।
वाणिज्य मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि कमलनाथ थाईलैंड के पट्टाया में होने वाली शिखर बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का प्रतिनिधित्व करेंगे। भारत आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को लेकर आशान्वित है।
हालांकि खुले बाजार व्यापार समझौते को लेकर बातचीत अगस्त 2008 में संपन्न हो गई लेकिन शुल्क कटौती और कृषि से जुड़े कुछ जिंसों पर बाजार संरक्षण को लेकर मतभेद के कारण इस पर समझौता नहीं हो सका है। इसके अतिरिक्त ऐसा समझा जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंत्रालय को अगली सरकार बनने तक मुक्त व्यापार समझौता नहीं करने का निर्देश दिया है।
ईस्ट एशिया शिखर बैठक की महत्वपूर्ण विशेषता अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के प्रमुखों के साथ होने वाली बातचीत का महत्वपूर्ण सत्र है। ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में आसियान भारत चीन जापान दक्षिण कोरिया आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शरीक हो रहे हैं।
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान की ओर से यह शिखर बैठक हर साल आयोजित की जाती है। इसमें संगठन के 10 सदस्य देशों- थाईलैंड, ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यामार, फिलिपींस, सिंगापुर और वियतनाम के प्रमुख भाग लेते हैं।
भारत और आसियान देशों के बीच कारोबार वर्ष 2007-08 में 38. 37 अरब डॉलर था। वर्ष 2000 के बाद से व्यापार में 27 फीसदी वार्षिक की दर से बढ़ोतरी हो रही है।
नहीं बन पाई है सहमति
हस्ताक्षर न होने की प्रमुख वजह यह है कि एफटीए से जुड़े कुछ मसलों पर अभी बातचीत होनी बाकी है।
उम्मीद की जा रही है कि 2009 के मध्य में आने वाली नई सरकार इस समझौते पर हस्ताक्षर करेगी।
शुल्क कटौती और कृषि से जुड़े कुछ जिंसों पर बाजार संरक्षण को लेकर बना हुआ है मतभेद।
भारत और आसियान देशों के बीच 27 फीसदी वार्षिक दर से बढ़ रहा है कारोबार।