भारत और अमेरिका व्यापार समझौते में लंबित मुद्दों और भारत द्वारा रूसी तेल की लगातार खरीद पर अमेरिका की चिंता को दूर करने के लिए व्यापक समाधान पर बातचीत कर रहे हैं।
एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘हम इन मुद्दों को अलग-अलग हल करने के बजाय उनका व्यापक रूप से समाधान करना चाहते हैं। राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की संतुष्टि के लिए उच्च स्तर पर किसी प्रकार का समझौता होना चाहिए जिससे लगे कि वह भारत के लिए रूसी तेल खरीद को कम करने और उसे बंद करने का तरीका है। तेल का मुद्दा सबसे जटिल है। जब वह हल हो जाएगा तो दूसरे मसलों पर बातचीत ज्यादा मुश्किल नहीं होगी।’
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारत के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस सप्ताह की शुरुआत में न्यूयॉर्क में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर के साथ बातचीत की। विदेश मंत्री एस जयशंकर वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र महासभा में शिकरत करने के लिए अमेरिका में हैं। उन्होंने भी व्यापार मुद्दे पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ बातचीत की है।
एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि गोयल अभी भी अमेरिका में हैं। हालांकि भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल बुधवार रात भारत लौट आए और द्विपक्षीय वार्ता सकारात्मक रही।
अमेरिकी अधिकारी ने कहा, ‘सभी वार्ता अच्छी रही। हर कोई `बातचीत में प्रगति होने से खुश था। हमें पता है कि हम कहां हैं और अब हमें क्या करने की आवश्यकता है। कुल मिलाकर माहौल उत्साहजनक है। हमारे नेता बात कर रहे हैं और वे आगे का रास्ता तलाश रहे हैं।’
फॉक्स बिज़नेस के साथ बातचीत में अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसंट ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत धीरे-धीरे रूस से तेल की खरीद कम कर देगा। लेकिन चिंता की बात यह है कि यूरोप उस तेल को खरीद रहा है जो भारत में शोधित होता है। वे खुद के खिलाफ युद्ध को फाइनैंस कर रहे हैं।’
16 सितंबर को नई दिल्ली में दोनों देशों के मुख्य वार्ताकारों की बैठक के बाद गोयल अमेरिकी यात्रा पर गए हैं। दक्षिण और पश्चिम एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में अधिकारियों के एक दल और वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय
अधिकारियों के दल ने इस सप्ताह की शुरुआत में व्यापार मुद्दे पर बातचीत की थी। दोनों पक्ष ने द्विपक्षीय संबंधों में हालिया तनाव को अलग रखते हुए पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार सौदा हासिल करने के प्रयासों को तेज करने पर सहमति जताई थी।
द्विपक्षीय व्यापार वार्ता मुख्य रूप से भारत द्वारा अमेरिका को अपने राजनीतिक रूप से संवेदनशील कृषि और डेरी क्षेत्रों में निर्बाध बाजार पहुंच प्रदान करने से इनकार करने के कारण रुकी हुई थी। रूसी तेल खरीदने की वजह से भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाने के साथ-साथ ट्रंप प्रशासन के 25 फीसदी जवाबी शुल्क लगाने के फैसले ने द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था।
हालांकि अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि वह कृषि और डेरी मुद्दों को रूस के तेल खरीद मुद्दे जितना महत्त्वपूर्ण नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘कृषि और डेरी पर अमेरिका के पास भारत की तुलना में अधिक लचीलापन है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद बढ़ा सकता है, अधिकारी ने कहा कि ऐसा हुआ तो अमेरिका को खुशी होगी।