सितंबर 2025 तिमाही (Q2-FY26) के नतीजे बहुत बढ़िया नहीं, लेकिन ठीक-ठाक रह सकते हैं। ऑटो, FMCG, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कुछ बड़े बैंकों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। त्योहारों की मांग और सरकार के GST Reform से कंपनियों को फायदा मिल सकता है।
बोनांजा पोर्टफोलियो के डायरेक्टर शिव के. गोयल ने कहा कि GST सुधार से दूसरी छमाही (H2FY26) में खपत थोड़ी बढ़ सकती है। इसके अलावा कंपनियों को स्टॉक मैनेजमेंट, पैसे की वसूली, टैक्स खर्च और कागजी काम में भी आसानी होगी। इससे मुनाफा और बैलेंस शीट दोनों मजबूत हो सकते हैं।
त्योहारों की वजह से ऑटो, FMCG और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर को अच्छा फायदा होगा। बैंकों में भी लोन ग्रोथ और बेहतर एसेट क्वालिटी से सुधार दिख सकता है, हालांकि मुनाफे का मार्जिन दबाव में रहेगा। रिन्यूएबल एनर्जी में नई क्षमता और सरकारी मदद से अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है। वहीं, आईटी कंपनियों की ग्रोथ धीमी रह सकती है, लेकिन जिनकी पकड़ क्लाउड और AI सेवाओं में मजबूत है, वे बेहतर कर सकती हैं।
वह कहते हैं, अमेरिकी फेड ने ब्याज दर घटाई है, लेकिन RBI अभी जल्दी कदम नहीं उठाएगा। महंगाई थोड़ी कम हुई है, लेकिन रुपये की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतें चिंता का कारण हैं। इसलिए RBI धीरे-धीरे और सोच-समझकर ही ब्याज दर घटा सकता है।
मौजूदा हालात में सोना और सरकारी बॉन्ड सुरक्षित विकल्प रहेंगे। सोना महंगाई और संकट के समय काम आता है, जबकि बॉन्ड से स्थिर आय मिलती है। शेयर बाजार अभी महंगा है, इसलिए सिर्फ चुनिंदा और अच्छी कंपनियों में ही निवेश करना सही रहेगा।
गोयल कहते हैं, भारतीय शेयर बाजार इस समय महंगे वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहा है। अगर नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे तो बाजार गिर भी सकता है। विदेशी निवेशक भारत में दिलचस्पी तो ले रहे हैं, लेकिन रुपये की कमजोरी और ऊंची कीमतों की वजह से उनका निवेश उतार-चढ़ाव भरा रह सकता है।
मिड और स्मॉल-कैप शेयर हाल में काफी चढ़े हैं, इसलिए इनमें सावधानी से निवेश करना चाहिए। माइक्रो-कैप शेयरों में और भी रिस्क है। IPO में निवेश करने से पहले कंपनी की स्थिति और वैल्यूएशन देखना जरूरी है। सिर्फ मार्केट की चर्चा यानी ग्रे मार्केट प्रीमियम पर भरोसा करना ठीक नहीं होगा।
(नोट: यह लेख बोनांजा पोर्टफोलियो के डायरेक्टर शिव के. गोयल की बिज़नेस स्टैंडर्ड की सिराली गुप्ता से हुई बातचीत पर आधारित है।)