अमेरिकी सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा वापसी के तुरंत बाद टैरिफ की धमकियों का असर रत्न एवं आभूषण उद्योग पर जोरदार पड़ा है। टैरिफ का भय और बाजार में छाई आर्थिक अनिश्चितता के कारण जनवरी में रत्न एवं आभूषण के आयात में करीब 38 फीसदी और निर्यात में सात फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वैश्विक बाजारों में आर्थिक अनिश्चितता और राजनीतिक तनाव की सबसे ज्यादा मार हीरे की चमक पर पड़ी है।
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2025 में रत्न एवं आभूषणों का कुल सकल निर्यात 2237.14 मिलियन अमेरिकी डॉलर (19302.280 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2405.78 मिलियन अमेरिकी डॉलर (19995.66 करोड़ रुपये) की तुलना में 7.01 फीसदी की गिरावट दर्शाता है। जबकि कुल आयात 1421.61 मिलियन अमेरिकी डॉलर (12269.41 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2286.55 मिलियन अमेरिकी डॉलर (19008.4 करोड़ रुपये) की तुलना में 37.83 फीसदी की गिरावट दर्शाता है।
कट और पॉलिश हीरों का कुल सकल निर्यात जनवरी 2025 में 12.48 फीसदी घटकर 1015.98 मिलियन अमेरिकी डॉलर (8765.34 करोड़ रुपये) रह गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 1160.79 मिलियन अमेरिकी डॉलर (9647.24 करोड़ रुपये) था। दुनिया के दो प्रमुख बाजारों में उपभोक्ता मांग कम होने के कारण, दुनिया के सबसे बड़े कटिंग और पॉलिशिंग हब भारत से हीरे के निर्यात पर इसका असर देखने को मिल रहा है। कट और पॉलिश किए गए हीरो के कुल सकल आयात में 67.04 फीसदी की गिरावट देखी गई, जो पिछले साल इसी अवधि में 163.87 मिलियन अमेरिकी डॉलर (1362.57 करोड़ रुपये) की तुलना में 54.0 मिलियन अमेरिकी डॉलर (465.44 करोड़ रुपये) रहा।
जनवरी 2025 में कच्चे हीरे का सकल आयात 8746.70 मिलियन अमेरिकी डॉलर (73505.97 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के आयात की तुलना में 22.49 फीसदी की गिरावट दर्शाता है, जो 11284.26 मिलियन अमेरिकी डॉलर (93292.2 करोड़ रुपये) था। यह गिरावट पहले के भू-राजनीतिक तनावों और अब ट्रंप की टैरिफ धमकियों के कारण आर्थिक अनिश्चितता के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कमजोर मांग के कारण है। इसने उपभोक्ताओं को हीरे की तुलना में सोने जैसी सुरक्षित-संपत्तियों में निवेश करने के लिए मजबूर किया है।
नकली हीरे की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के कारण वैश्विक बाजार में मांग को नीचे की धकेल रहा है। जनवरी 2025 के दौरान पॉलिश लैब ग्रोन डायमंड का कुल सकल निर्यात 85.44 मिलियन अमेरिकी डॉलर (736.87 करोड़ रुपये में) रहा, जो पिछले वर्ष के 113.85 मिलियन अमेरिकी डॉलर (946.10 करोड़ रुपये) की तुलना में 24.95 फीसदी की गिरावट दर्शाता है।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के कारण उपभोक्ताओं को सोने में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है, जिनकी कीमतों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। गोल्ड ज्वैलरी का कुल सकल निर्यात 949.46 मिलियन अमेरिकी डॉलर (8193.44 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 788.06 मिलियन अमेरिकी डॉलर (6549.58 करोड़ रुपये) की तुलना में 20.48 फीसदी की अच्छी वृद्धि दर्शाता है।
रंगीन रत्नों का सकल निर्यात 353.92 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2979.69 करोड़ रुपये में) रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 391.57 मिलियन अमेरिकी डॉलर (3238.89 करोड़ रुपये) की तुलना में 9.62 फीसदी की गिरावट दर्शाता है।
रत्न एवं आभूषण उद्योग में गिरावट के बारे में कामा ज्वेलरी के प्रबंध निदेशक कॉलिन शाह ने कहा कि ट्रंप के सत्ता में वापस आने और आक्रामक तरीके से बड़े पैमाने पर टैरिफ बढ़ोतरी को आगे बढ़ाने के साथ, इसका असर समग्र वैश्विक व्यापार गतिविधियों पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। हम ट्रंप के टैरिफ रुख पर नज़र रखने के लिए प्रतीक्षा और निगरानी की स्थिति में हैं, जो तय करेगा कि वैश्विक बाजार इन समयों में कैसे आगे बढ़ेगा। हालांकि, आने वाले महीनों में व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार देखा जा सकता है, जब पूरी तरह से स्पष्टता होगी।