सोने की कीमतों में लगातार तेजी और शेयरों के खराब प्रदर्शन के कारण इसके दाम और सेंसेक्स का अनुपात, 2020 के महामारी के दिनों को छोड़ दें तो एक दशक में सबसे अधिक हो गया है। कोरोना महामारी के दौरान शेयर के भाव में थोड़े समय के लिए गिरावट आई थी।
बीते गुरुवार को सोना और इक्विटी का अनुपात बढ़कर 1.4 हो गया जो जनवरी-मार्च 2014 के बाद सबसे अधिक है। जनवरी-मार्च 2014 में यह 1.5 के करीब था। पिछले साल दिसंबर के अंत में यह अनुपात 0.97 और सितंबर के अंत में 0.89 था।
वर्तमान अनुपात लंबी अवधि में ऐतिहासिक औसत से भी ज्यादा है। पिछले 30 वर्षों में हाजिर सोने की कीमत और सेंसेक्स के अनुपात का औसत मान 1.04 है।
ऐतिहासिक रूप से शेयर और सोने की चाल लंबी अवधि में एक दूसरे के उलट रही है । उदाहरण के लिए सेंसेक्स ने 1998 के अंत से जून 2000 के बीच लगभग दो वर्षों तक सोने से बेहतर प्रदर्शन किया। इसके बाद अगले कुछ वर्षों तक शेयरों में लगातार बिकवाली हुई और सोने ने 2000 के मध्य से 2003 के मध्य के बीच सेंसेक्स को पीछे छोड़ दिया। फिर इक्विटी ने 2003 से 2007 के बीच चार वर्षों तक सोने से बेहतर प्रदर्शन किया, जिसके बाद 2008 और 2009 में सोने की कीमतों में तेजी आई जबकि शेयर का प्रदर्शन कमजोर रहा। मार्च-जून 2020 की छोटी अवधि को छोड़ दें तो 2012 से 2021 के बीच लगभग एक दशक तक इक्विटी में लगातार तेजी रही जबकि सोने की कीमतें स्थिर रहीं।
Also Read: ITR फाइल की, लेकिन स्टेटस का पता नहीं? स्टेप-बाय-स्टेप समझें कैसे होगा चेक
पीली धातु अब सितंबर 2021 से अगले चार वर्षों तक इक्विटी से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। पिछले तीन दशक में सोने में तेजी का यह सबसे लंबा सिलसिला है। इससे पहले फरवरी 2000 से मई 2003 के बीच सोने के दाम में काफी तेजी आई थी। पिछले चार वर्षों में घरेलू बाजार में हाजिर सोने की कीमत सितंबर 2021 के अंत में 45,600 रुपये प्रति 10 ग्राम से 147 फीसदी बढ़कर बुधवार को 1,12,895 रुपये पहुंच गई।
इसकी तुलना में इस अवधि के दौरान बेंचमार्क सूचकांकों में सिर्फ 37 फीसदी की वृद्धि हुई। गुरुवार को बेंचमार्क सेंसेक्स 81,159 पर बंद हुआ, जबकि सितंबर 2021 के अंत में यह 59,126 था। इसी अवधि में सोना और सेंसेक्स का अनुपात पिछले चार वर्षों में लगभग 80 फीसदी बढ़ गया है। सितंबर 2021 में यह 0.77 था जो बीते बुधवार को बढ़कर 1.37 हो गया।
Also Read: ट्रंप के 100% टैरिफ ऐलान का असर: निफ्टी फार्मा 2% गिरा
अतीत में उच्च अनुपात ने कम जोखिम वाली संपत्तियों जैसे कीमती धातुओं के मुकाबले इक्विटी के कम मूल्यांकन का संकेत दिया था और शेयर निवेशकों के लिए खरीदारी के अवसर प्रस्तुत किए थे। सिस्टमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सह-प्रमुख, शोध एवं इक्विटी स्ट्रैटजी धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘वर्तमान में सोने की कीमतें मुख्य रूप से केंद्रीय बैंकों द्वारा डॉलर के विकल्प की तलाश में खरीदारी के कारण बढ़ रही हैं।’