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Edible oil price: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में तेजी ने खोले देसी खाद्य तेलों के दाम

खाद्य तेल कारोबारियों के मुताबिक मलेशिया में उत्पादन घटने के बीच मजबूत मांग से खाद्य तेल महंगे हुए हैं।

Last Updated- November 22, 2023 | 7:59 PM IST
Vegetable Oil Import

अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतों में तेजी देखी जा रही है। जिसका असर घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ रहा है। बीते 15 दिनों के दौरान इनके थोक भाव 2 से 6 रुपये किलो बढ़ चुके हैं।

सबसे कम बढ़ोतरी सरसों तेल के दाम में हुई है। खाद्य तेल कारोबारियों के मुताबिक मलेशिया में उत्पादन घटने के बीच मजबूत मांग से खाद्य तेल महंगे हुए हैं।

5 फीसदी तक महंगे हुए खाद्य तेल

अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि खाद्य तेलों की कीमतों में मजबूती के कई कारण हैं। इस महीने मलेशिया में कम उत्पादन हुआ है।

साथ ही बायोडीजल की मांग मजबूत है और चीन ब्राजील से बड़े पैमाने पर सोया तेल आयात कर रहा है। लिहाजा मांग बढ़ने से खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी देखी जा रही है।

पाम तेल के थोक दाम 820 रुपये से बढ़कर 850 रुपये प्रति 10 किलो

ठक्कर ने कहा कि बीते 15 दिनों के दौरान घरेलू बाजारों में पाम तेल के थोक दाम 820 रुपये से बढ़कर 850 रुपये प्रति 10 किलो हो गए हैं। सोयाबीन तेल के थोक भाव 905 रुपये से बढ़कर 965 रुपये, सरसों तेल के भाव 1,050 रुपये से बढ़कर 1,070 रुपये, सूरजमुखी तेल के भाव 910 रुपये से बढ़कर 970 रुपये और मूंगफली तेल के दाम 1540 से बढ़कर 1570 रुपये प्रति 10 किलो हो गए हैं।

खाद्य तेलों के दाम काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर

सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कूइट) के चेयरमैन सुरेश नागपाल कहते हैं कि देश में खाद्य तेलों के दाम काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड पाम तेल और पामोलीन की कीमतों में 2 से 5 फीसदी इजाफा हुआ है। जिससे घरेलू बाजार में देसी तेलों के दाम 2 से 6 रुपये किलो बढ़े हैं।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार दीवाली बाद देसी खाद्य तेलों की औसत खुदरा कीमतों में एक से दो रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

सरकार से कच्चे और रिफाइंड पाम तेल के बीच शुल्क अंतर बढ़ाने की मांग

खाद्य तेल उद्योग के प्रमुख संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने घरेलू उद्योग के संरक्षण के लिए सरकार से कच्चे और रिफाइंड पाम तेल के बीच शुल्क अंतर को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की मांग की है।

एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला ने कहा कि दोनों तेलों के बीच शुल्क अंतर कम होने से घरेलू वनस्पति तेल रिफाइनिंग उद्योग पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में सरकार को कच्चे और रिफाइंड पाम तेल के बीच शुल्क अंतर को एक बार फिर 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर देना चाहिए।

एसईए अध्यक्ष ने कहा कि तीन लाख करोड़ रुपये के आकार वाले भारतीय खाद्य तेल उद्योग का काफी महत्व है। पिछले 12 वर्षों में इंडोनेशिया और मलेशिया ने रिफाइंड तेल की तुलना में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) पर अधिक निर्यात कर लगाया है। इससे रिफाइंड तेल सस्ता हो गया है। जिससे भारतीय रिफाइनिंग क्षमता बेकार हो गई है।

नवंबर, 2022- अक्टूबर, 2023 के तेल विपणन सत्र में भारत ने 167.1 लाख टन वनस्पति तेलों का आयात किया, जो इसका सर्वकालिक उच्च स्तर है। खाद्य तेलों का आयात 164.7 लाख टन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया।

राजस्थान में सरसों की बोआई सुस्त

सबसे प्रमुख तिलहन उत्पादक राज्य राजस्थान में पिछले साल सरसों का रकबा 35.75 लाख हेक्टेयर था। लेकिन मौजूदा बोआई की धीमी रफ्तार देखकर कहा जा रहा है कि इस बार यह लक्ष्य हासिल होना मुश्किल है । 2022-23 के पूरे रबी सीजन के दौरान राजस्थान में कुल 45.52 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती हुई थी।

इसी तरह गुजरात में सरसों का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 2.47 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 1.66 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो सामान्य औसत क्षेत्रफल 2.42 लाख हेक्टेयर से भी काफी कम है। पश्चिम बंगाल एवं हरियाणा में भी सरसों का रकबा पिछले साल से पीछे है। हालांकि मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में रकबा कुछ बढ़ने की सूचना है। यह स्थिति खाद्य तेल उत्पादन के लिए अच्छी नहीं है।

First Published - November 22, 2023 | 5:51 PM IST

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