Economic Survey 2024: वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था भले ही अच्छा प्रदर्शन कर रही है। लेकिन कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर काफी धीमी पड़ गई है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार वर्ष 2023-24 में कृषि क्षेत्र की विकास दर 1.5 फीसदी से भी कम रहने का अनुमान है, जो इससे पहले वाले वर्ष और बीते 5 साल की औसत वृद्धि दर की एक तिहाई से भी कम है।
संसद में आज पेश कई आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि भारतीय कृषि क्षेत्र देश के 42.4 फीसदी लोगों की आजीविका को चलाता है और इसकी स्थिर मूल्य पर देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 18.2 फीसदी हिस्सेदारी है।
इस क्षेत्र ने बीते 5 वर्ष के दौरान स्थिर मूल्य पर 4.18 फीसदी की औसत सालाना वृद्धि दर हासिल की है। लेकिन आर्थिक समीक्षा में वर्ष 2023-24 के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर महज 1.4 फीसदी (provisional estimates) रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2022-23 की वृद्धि दर 4.7 फीसदी की एक तिहाई से भी कम है। साथ ही यह बीते 5 साल की औसत वृद्धि दर की भी करीब एक तिहाई ही है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के माध्यम से किसानों को सुनिश्चित लाभकारी मूल्य, संस्थागत ऋण तक पहुंच में सुधार, फसल विविधीकरण को सक्षम करने, डिजिटलीकरण और मशीनीकरण को बढ़ावा देने, जैविक और प्राकृतिक खेती प्रोत्साहित करना और उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों का बीते वर्षों में कृषि क्षेत्र की वृद्धि पर सकारात्मक असर हुआ।
लेकिन वर्ष 2023-24 में कृषि क्षेत्र की विकास दर काफी धीमी पड़ने की वजह अल नीनो के कारण देर से आए और खराब मॉनसून के कारण खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट आना है। वर्ष 2022-23 में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कर 32.97 करोड़ टन के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन खराब मॉनसून के कारण वर्ष 2023-24 में यह घटकर 32.88 करोड़ टन रह गया।