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ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी से अरंडी हुआ मंदा

Last Updated- December 09, 2022 | 9:39 AM IST

ऑटो सेक्टर में छायी मंदी का असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अरंडी की मांग पर दिख रहा है।


इस सेक्टर में अरंडी तेल के अनेक इस्तेमाल हैं, जैसे-ग्रीस और लुब्रिकेंट तैयार करने में। कारोबारियों का मानना है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था और ऑटो उद्योग के मंदी की चपेट में आने से अरंडी तेल का निर्यात प्रभावित हो सकता है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसियशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने बताया कि मौजूदा आर्थिक मंदी ने कई कृषि जिंसों की मांग पर असर डाला। जबकि ऑटो सेक्टर में हुई गिरावट ने देश में अरंडी की मांग में और कमी कर दी है।

अहमदाबाद कमोडिटी एक्सचेंज के अध्यक्ष प्रवीण ठक्कर ने बताया कि विदेशी बाजार में अरंडी की कोई खास मांग नहीं है। फिलहाल विदेश का कोई अनुबंध नहीं है। अरंडी और इसके उत्पाद का निर्यात इस साल 20 से 25 फीसदी घटने के आसार हैं।

कारोबारियों के मुताबिक, 2007-08 में देश में अरंडी का उत्पादन 3.5 लाख टन हुआ था। इसमें से 2.70 लाख टन अरंडी विदेशों में निर्यात कर दिया गया। पिछले साल हाजिर बाजार में अरंडी तेल का भाव 630 रुपये प्रति 20 किलोग्राम तक पहुंच गया था।

कारोबारी अब दवा और पेंट उद्योग में भी इसके कारोबार की संभावनाएं ढूंढ रहे हैं। कइयों का मानना है कि मौजूदा आर्थिक मंदी का अरंडी तेल के निर्यात बाजार पर अधिक असर नहीं पड़ेगा। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि मंदी से अरंडी का निर्यात बाजार 10 से 20 फीसदी तक गिरेगा।

First Published - December 26, 2008 | 9:38 PM IST

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