जीरे की कीमतों में भारी तेजी देखी जा रही है। इस महीने जीरे के भाव करीब 20 फीसदी बढ़ चुके हैं। आमतौर पर किसी भी जिंस के वायदा भाव हाजिर भाव से ज्यादा रहते हैं। लेकिन जीरे की कीमतों में हालिया तेजी के दौरान हाजिर भाव वायदा भाव से ज्यादा है। दो साल से जीरे की कम पैदावार होने से इन दिनों बाजार में स्टॉकिस्ट सक्रिय होकर खूब खरीदारी कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पैदावार कम होने से आगे जीरे की कमी हो सकती है।
इस माह 20 फीसदी महंगा हुआ जीरा
कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में इस माह के पहले कारोबारी दिन 3 अप्रैल को जीरा का अप्रैल कॉन्ट्रैक्ट 35,055 रुपये के भाव पर बंद हुआ था, जिसने आज खबर लिखे जाने के समय 42,080 रुपये क्विंटल का उपरी स्तर छू लिया। महीने भर में भाव 10 हजार रुपये क्विंटल से ज्यादा बढ़ चुके हैं।
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट व जिंस विशेषज्ञ अनुज गुप्ता कहते हैं कि बीते कुछ दिनों से जीरे की कीमतों में इस कदर तेजी दर्ज की जा रही है कि जीरे के हाजिर भाव वायदा भाव से आगे निकल गए हैं। पिछले महीने तक वायदा भाव हाजिर भाव से कम थे। जीरे ही हाजिर कीमत 42,500 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि जीरे के अप्रैल कॉन्ट्रैक्ट ने 42,080 रुपये क्विंटल का उपरी स्तर छुआ।
जिंसों के भाव पर नजर रखने वाली सरकारी एजेंसी एग्मार्कनेट के मुताबिक उंझा मंडी में जीरा 30,000 से 45,000 रुपये बिक रहा है। इस माह के शुरुआत में ये भाव 28,000 से 37,500 रुपये क्विंटल थे।
जनवरी में जीरे की कीमतें 37,990 रुपये क्विंटल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन इसके बाद उत्पादन उम्मीद से कम घटने की संभावना से मध्य फरवरी में भाव गिरकर 30,000 रुपये क्विंटल के करीब आ गए। इसके बाद बेमौसम बारिश से गुजरात व राजस्थान में जीरे की खड़ी फसल को नुकसान होने से जीरे की कीमतें फिर से बढ़ रही हैं। अब भाव बढ़कर 40 हजार रुपये को पार कर गए हैं।
कारोबारियों के मुताबिक बारिश से नुकसान के बाद रोजाना 30 से 40 हजार बैग जीरे की आवक हो रही है, जबकि पिछले साल इन दिनों ये आवक मौजूदा आवक से दोगुनी थी।
उत्पादन में कमी और स्टॉकिस्टों की खरीदी से बढ़ रहे हैं जीरे के दाम
जिंस विश्लेषक और एग्रीटेक कंपनी ग्रीन एग्रेवॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड में रिसर्च हेड इंद्रजीत पॉल ने बताया कि इस साल उत्पादन पहले से ही घटने का अनुमान था। ऐसे में 15 मार्च के बाद हुई असमय बारिश से खासकर राजस्थान के जीरा उत्पादक इलाकों में खेतों में खड़ी जीरे की फसल को नुकसान हुआ है। इस नुकसान के बीच मसाला निर्माता और स्टॉकिस्टों को लग रहा है कि आगे जीरे की किल्लत हो सकती है। इसलिए वे जीरे की खरीदारी तेजी से कर रहे हैं। लिहाजा जीरे की कीमत भी तेजी से बढ़ रही हैं।
पॉल के मुताबिक पिछले साल 6.29 लाख टन जीरे का उत्पादन हुआ था। इस साल यह घटकर 3.8 से 4 लाख टन रह सकता है। ओरिगो कमोडिटीज के सहायक महाप्रबंधक (कमोडिटी रिसर्च) तरुण सत्संगी के मुताबिक शुरुआत में 75 लाख बैग (50 किलो) का जीरे का उत्पादन लगाया था। लेकिन अब जानकार 50 लाख बैग से भी कम जीरा पैदा होने का अनुमान लगा रहे हैं। इसलिए जीरे के भाव तेजी से बढ़ रहे हैं।
गुजरात के किसान जितेंद्र अहीर कहते हैं कि पिछले महीने से जीरे की कीमतों में उतार चढ़ाव फायदे से ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है। कीमतें बढ़ने से जीरे में सौंफ आदि की मिलावट हो रही है। जीरा ग्वार गम की राह पर है। इससे सटोरियों को तो बड़ा लाभ होगा, लेकिन किसानों को घाटा उठाना पड़ सकता है।
43,000 रुपये तक जा सकते हैं जीरे के वायदा भाव
स्टॉकिस्टों की खरीदारी को देखते हुए आगे भी जीरे की कीमतों में तेजी रहने की संभावना है। गुप्ता कहते हैं कि छोटी अवधि में जीरे के वायदा भाव एक बार 43,000 रुपये क्विंटल का स्तर छू सकते हैं। पॉल के मुताबिक भी आगे जीरे की कीमतों में और तेजी आ सकती है। हालांकि मुनाफावसूली के कारण कुछ गिरावट भी संभव है।