Cumin price: जीरे के भाव अब सुस्त पड़ने लगे हैं। इसकी वजह निर्यात मांग में कमी आना है। इसके साथ ही ऊंचे भाव पर घरेलू बाजार में भी स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर पड़ी है। इस साल भाव काफी अधिक रहने के कारण जीरा का रकबा बढ़ने के अनुमान से भी इसकी कीमतों में नरमी का रुख है।
महीने भर में जीरा के भाव काफी टूट चुके हैं। इस माह भी इसके भाव में गिरावट देखी जा रही है। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) पर 12 सितंबर को जीरे का अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट 61,575 रुपये के भाव पर बंद हुआ था और आज यह खबर लिखे जाने के समय 53,600 रुपये प्रति क्विंटल भाव पर कारोबार कर रहा था।
इस तरह महीने भर में जीरे के वायदा भाव करीब 13 फीसदी टूट चुके हैं। इस महीने भी इसकी कीमतों में करीब 7 फीसदी गिरावट आई है। HDFC में कमोडिटी व करेंसी प्रमुख अनुज गुप्ता ने बताया कि इस साल जीरे की बोआई बढ़ने की संभावना है। साथ ही ऊंचे भाव पर इसकी मांग पहले से कमजोर है। इसलिए इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है। आगे जीरा और सस्ता होने की संभावना है।
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जीरे की निर्यात मांग में सुस्ती देखी जा रही है। कमोडिटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जुलाई अवधि में 57,526 टन जीरे का निर्यात हुआ है, जबकि पिछली समान अवधि में यह आंकड़ा 63,391 टन था। इस तरह इस वित्त वर्ष जुलाई तक जीरे के निर्यात में 22 फीसदी से अधिक कमी आई है।
निर्यात मांग सुस्त पड़ने के कारण भी जीरे के भाव अब नरम पड़ने लगे हैं। इस साल जीरे का रकबा भी बढ़ने का अनुमान है। इससे आगे जीरे की कीमतों में सुस्ती जारी रह सकती है। अब जीरे के वायदा भाव 60 हजार रुपये से ऊपर शायद ही जाएं, बल्कि इसके भाव 50 हजार रुपये से नीचे आ सकते हैं।