केंद्र सरकार को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को विस्तारित करने की ताजा घोषणा के बाद उसे योजना के तहत गेहूं से अधिक चावल का वितरण करना पड़ सकता है ताकि गेहूं के भंडारण में आवश्यकता से अधिक कमी नहीं हो। यह विचार व्यापार और अनाज उद्योग से जुड़े सूत्रों ने व्यक्त किए हैं। केंद्र सरकार ने शनिवार को घोषणा की कि पीएमजीकेएवाई की मियाद को 1 अप्रैल से सितंबर तक की छह महीने की अवधि तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
शनिवार को जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से शुरू होने जा रहे छह महीने की अवधि के लिए 2.44 करोड़ टन गेहूं और चावल का आवंटन करने की योजना बनाई है। इसमें सरकार ने गेहूं और चावल का अलग अलग हिस्सा नहीं बताया है।
बाजार पर नजर रखने वाले कई लोगों का कहना है कि यदि वित्त वर्ष 2023 के लिए गेहूं की खरीद 4.44 करोड़ टन के लक्ष्य से कम रहती है तो अगले वित्त वर्ष के अंत तक गेहूं के स्टॉक पर असर पड़ सकता है। उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय गेहूं का निर्यात करने के लिए निजी व्यापारियों की ओर से गेहूं मजबूत मांग के कारण इसकी सरकारी खरीद लक्ष्य से कम रह सकती है।
इस मामले में चावल को लेकर कोई समस्या नहीं है। देश में चावल का पर्याप्त भंडार है और निजी मांग में अचानक से कोई तेजी नहीं है।
एक वैश्विक जिंस कंपनी के अग्रणी व्यापारी ने अन्न भंडार के गणित को समझाते हुए कहा कि 2021-22 में गेहूं का भंडार 31 मार्च, 2022 को 1.95 करोड़ टन से 2 करोड़ टन है। यह तीन वर्ष में भंडारण का न्यूनतम स्तर होने के बावजूद बफर और रणनीतिक भंडारों को बनाए रखने के लिए जरूरी 75 लाख टन की नियमत: भंडार से बहुत अधिक है।
बहरहाल, यदि खरीद 4.44 करोड़ टन के लक्ष्य से कम करीब 3.4 करोड़ से 3.5 करोड़ टन रहता है तो इसका मतलब होगा कि इस साल उपलब्ध गेहूं की आपूर्ति 5.5 करोड़ टन के करीब रहेगी।