अमेरिका के जवाबी शुल्क लगाने से कुछ कृषि उत्पादों जैसे श्रिम्प (एक प्रकार का समुद्री झींगा) के निर्यात पर आने वाले महीनों में खासा प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों के अनुसार ट्रंप प्रशासन का भारत पर जवाबी शुल्क प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में कुछ उत्पादों पर कम है। लिहाजा अभी भी सबकुछ खत्म नहीं हुआ है और उम्मीदें कायम रह सकती हैं।
भारत से वित्त वर्ष 24 में अमेरिका को समुद्री खाद्य उत्पादों का निर्यात करीब 1.9 अरब डॉलर का था। अमेरिका को होने वाले समुद्री खाद्य उत्पादों के निर्यात का बड़ा हिस्सा ‘वन्नामेई श्रिम्प’ का हुआ था। वित्त वर्ष 24 में भारत से होने वाले झींगा निर्यात में करीब 41 फीसदी अमेरिका को भेजा गया था। लिहाजा अमेरिका झींगा निर्यात के लिए भारत के सबसे बड़े गंतव्य में से है।
27 प्रतिशत जवाबी शुल्क के साथ अन्य शुल्क जोड़े जाने के बाद शुल्क बढ़कर करीब 45 फीसदी होने का अनुमान है। अभी तक सीवीडी आदि जोड़ने के बाद भारत से अमेरिका को होने वाले झींगा पर अधिकतम शुल्क करीब आठ फीसदी ही था।
भारत से बासमती चावल और भैंस के मांस के बाद सर्वाधिक कृषि निर्यात किए जाने वाला कृषि उत्पाद समुद्री खाद्य ही है। अन्य प्रभावित होने वाला प्रमुख कृषि उत्पाद बासमती चावल है। भारत से अमेरिका हर साल 3,00,000 से 3,50,000 टन बासमती चावल खरीदता है। इस क्रम में अन्य वस्तुएं जैसे तिलहन, अरंडी का तेल और प्रसंस्कृत फल, मसाले और काजू का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है। ब्राजील पर अपेक्षाकृत कम शुल्क लगाए जाने से इन उत्पादों का निर्यात इस देश को स्थानांतरित हो सकता है। बहरहाल, विशेषज्ञ इस जवाबी शुल्क से दीर्घावधि में समुद्री खाद्य और बासमती चावल के निर्यात पर असर नहीं पड़ने की उम्मीद जता रहे हैं।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘मैं शुल्क बदलने के कारण नकारात्मक प्रभाव की जगह भारतीय समुद्री खाद्य और बासमती के निर्यात पर सकारात्मक प्रभाव देखता हूं।’ ऐसा ही कुछ प्रभाव भारत से अमेरिका को होने वाले कृषि रसायन के निर्यात पर भी पड़ सकता है।
भारत ने वित्त वर्ष 24 में वैश्विक स्तर पर कृषि रसायन का करीब 5.5 अरब डॉलर का निर्यात किया था। इसमें अमेरिका को किए जाने वाले निर्यात की हिस्सेदारी 1.1 अरब डॉलर (करीब 20 प्रतिशत) थी।
इनक्रेड इक्विटीज के नितिन अवस्थी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘इस जवाबी शुल्क का अमेरिका और सुपरमार्केट पर भारी असर पड़ सकता है और इन बाजारों में श्रिम्प की आपूर्ति बंद भी हो सकती है। एक बार अमेरिका के ग्रॉसरी स्टोर में श्रिम्प की कमी आने के बाद वे इसके दाम में तालमेल स्थापित करेंगे।’
उन्होंने कहा कि अल्पावधि के लिए घबराहट हो सकती है लेकिन दीर्घावधि में नए सिरे से तालमेल स्थापित हो सकता है। अवस्थी ने कहा, ‘देखते हैं यह कैसे होता है।’