बजट में कर छूट के प्रावधान से 12 लाख रुपये तक सालाना आय वाले लोगों को कोई आयकर नहीं देना होगा। इससे करीब 1 करोड़ और लोग कर देनदारी के दायरे से बाहर आ जाएंगे। इसे देखते हुए दोपहिया और यात्री वाहन विनिर्माता उम्मीद कर रहे हैं कि यह नया समूह वाहन खरीदने के लिए प्रेरित हो सकता है। साथ ही प्रीमियम कारों और मोटरसाइकलों के आयात पर बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) में राहत से हार्ली डेविडसन और सुजूकी हायाबुसा जैसे ब्रांडों की मोटरसाइकलों की बिक्री बढ़ सकती है। प्रीमियम मोटरसाइकलों पर शुल्क घटाने के कदम को डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन को खुश करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कर में राहत से सेकंड हैंड कारों को भी बढ़ावा मिलेगा और छोटी कार बनाने वाली मारुति सुजूकी जैसी कंपनियों की शुरुआती स्तर की कारों की मांग फिर से बढ़ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर 5 फीसदी अतिरिक्त लोग भी नया वाहन खरीदते हैं तो इससे इस क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन मिल सकता है।
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जनवरी के दौरान देश की दिग्गज कार विनिर्माता मारुति सुजूकी की छोटी (हैचबैक) और कॉम्पैक्ट सेगमेंट की कारों की बिक्री में 8 फीसदी की गिरावट आई है। हाल के वर्षों में हैचबैक और कॅम्पैक्ट कारों की बिक्री लगातार घट रही है। एक यात्री कार कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘2021 तक कुल कारों की बिक्री में हैचबैक और कॉम्पैक्ट कारों की हिस्सेदारी 45-46 फीसदी रहती थी मगर अब यह घटकर 23 फीसदी रह गई है। देश में सालाना 40 लाख यात्री कारें बिकती हैं। ऐसा लोगों की बढ़ती आकांक्षा के कारण हुआ है, यह कहना पूरी तरह सही नहीं हो सकता। असली वजह क्रयशक्ति है।’
हालांकि एक अन्य वर्ग का मानना है कि कर पहल का छोटी कारों की बिक्री पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा। जैटो डायनमिक्स के अध्यक्ष और निदेशक रवि भाटिया ने कहा कि भारत के यात्री कार बाजार में 5 लाख रुपये तक कारों की हिस्सेदारी 1 फीसदी से भी कम है जबकि 5 से 9.9 लाख रुपये मूल्य वाली कार सेगमेंट की हिस्सेदारी 51 फीसदी है। उन्होंने कहा, ‘अब ज्यादा बिक्री 5 लाख रुपये से कम की नहीं बल्कि 9.9 लाख रुपये से कम की कार की हो रही है। प्रति माह 8,000 रुपये या सालाना 1 लाख रुपये की अनुमानित बचत को देखें तो क्या खरीदार सारा पैसा कम फीचर वाली नई कार खरीदने में ही लगा देंगे या बेहतर फीचर वाली पुरानी कार खरीदना पसंद करेंगे। यह बड़ा सवाल है।’
एक यात्री कार विनिर्माता कंपनी के वरिष्ठ कार्याधिकारी का मानना है कि लोगों की क्रय शक्ति वाहनों की कीमत वृद्धि की तुलना में घटी है, जिसका हाल के वर्षों में मध्य वर्ग पर असर पड़ा है। ऐसे में वे सेकंड हैंड कार खरीदना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा, ‘पिछले 4 साल में नियमन में बदलाव के कारण कारों के दाम करीब 40 फीसदी बढ़े हैं जबकि आय कमोबेश स्थिर रही है। हालांकि अब इसमें बदलाव की उम्मीद है क्योंकि कार की कीमतों में वृद्धि स्थिर हो गई है और आय वृद्धि में सुधार होने की संभावना है।’पिछले तीन वर्षों में छोटी कारों की बिक्री कम हो गई है। इसलिए सेकंड हैंड कारों की बाजार में उपलब्धता भी कम हुई है। लिहाजा ऐसी कारों के दाम बढ़े हैं। इस वजह से भी खरीदार सेकंड हैंड कारों की बजाय नई एंट्री-लेवल की कार खरीदना पसंद कर सकते हैं। नई कार और सेकंड हैंड कारों के दाम में अंतर भी कम हुआ है जिससे खरीदार नई कार खरीदने को तवज्जो दे सकते हैं।
इंस्टीट्यूट फॉर सोशल ऐंड इकोनमिक चेंज, बेंगलूरु में प्रोफेसर एस माधेश्वरन ने कहा, ‘इस कदम से अतिरिक्त 1 करोड़ लोगों को लाभ होने की उम्मीद है और उनमें से एक बड़ा हिस्सा संभावित खरीदार हो सकता है जो नई कार या बाइक का विकल्प चुन सकता है।’
1,600 सीसी इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकलों के आयात पर बेसिक सीमा शुल्क (बीसीडी) 50 फीसदी से घटाकर 40 फीसदी करने और 1,600 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाली मोटरसाइकलों के लिए इसे 50 से घटाकर 30 फीसदी करने से हार्ली डेविडसन और सुजूकी हायबुसा जैसी कंपनियों को लाभ मिल सकता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि शुल्क कटौती से प्रीमियम मोटरसाइकिलों की बिक्री ज्यादा बढ़ने की उम्मीद नहीं है क्योंकि इसमें स्थानीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं है और इस कदम को ट्रंप की शुल्क व्यवस्था को एक तरह से तुष्ट करने के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
क्रिसिल में निदेशक और सीनियर प्रैक्टिस लीडर हेमल ठक्कर ने कहा, ‘12 लाख रुपये तक सालाना आय को कर मुक्त करने से शहरी अर्थव्यवस्था सार्थक तरीके से योगदान करने में मदद करेगी। हमें उम्मीद है कि जनसंख्या का लाभ उपभोग वाले क्षेत्रों को संजीवनी देगा।’