केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) की दूसरी वेतन समीक्षा समिति ने सिफारिश की है कि सरकारी कंपनियों को उनकी उत्पादकता और प्रदर्शन के आधार पर अपने वेतन निर्धारित करने चाहिए।
इस दिशा में समिति ने 216 सरकारी कंपनियों को 5 श्रेणी में बांटा है। इन श्रेणियों में इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, एनटीपीसी और भारत संचार निगम लिमिटेड जैसी 11 केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों को उनके प्रदर्शन के हिसाब से उच्च वरीयता दी गई है।
ये सिफारिशें दूसरी केंद्रीय पीएसयू की समीक्षा समिति की रिपोर्ट में दी गई हैं जो सरकार को पिछले शुक्रवार को सौंपी गईं। अगर ये सिफारिशें क्रियान्वित होती हैं तो 1973 में 9 कंपनियों को दिए गए नवरत्न के दर्जे में बढाेतरी होगी और इनकी संख्या 16 हो जाएगी। दूसरा वर्गीकरण मिनी नवरत्न कंपनियों का है जिसमें वर्तमान में 54 कंपनियां है।
नवरत्न या मिनी नवरत्न कंपनियों का दर्जा उन कंपनियों को दिया जाता है जिनका प्रदर्शन बेहतर होता है। इस दर्जे को पाने के बाद कंपनियों को वित्तीय और कार्यकारी स्वायत्तता दी जाती है। वैसे इस नई संरचना में थोडा सा अंतर होगा और इन प्रदर्शन के आधार पर वेतन का भी निर्धारण किया जाएगा। इसके क्रियान्वित हो जाने पर कर्मचारियों को राजनीतिक स्वतंत्रता तो नहीं मिलेगी लेकिन उनकी जेबें जरूर भर जाएंगी।
तीन कंपनियां जो नवरत्न की सूची में नहीं थीं, अब उन्हें भी इस उच्च श्रेणी में लाने की कोशिश चल रही है। इनमें भारतीय खाद्य निगम, भारत संचार और कोल इंडिया शामिल हैं। इस नए वर्गीकरण के बाद नवरत्न में एमटीएनएल, एनएमडीसी, एचएएल, पावर ग्रिड, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, आरईसी, नाल्को और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को भी शामिल करने की बात चल रही है।
2006-07 में प्रस्तावित ए+ श्रेणी की कंपनियों की कुल आय 8,27,069 करोड रुपये रही। यह आय कंपनियों की कुल आय का 68.13 प्रतिशत थी। इन कंपनियों में सार्वजनिक उपक्रमों में कुल काम करने वाले कर्मचारियों के 41 प्रतिशत लोगों यानी 16 लाख 10 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। सार्वजनिक उपक्रमों के स्थायी सम्मेलन(स्कोप) के महानिदेशक एस एम दीवान ने कहा कि इन ए+ कंपनियों का प्रदर्शन बहुत ही उच्च स्तर का होता है और इसलिए इसे अलग तरीके से लेना चाहिए। इसलिए इस तरह की नई श्रेणी की जरुरत पड़ती है।
कुल आय, श्रम-शक्ति का आकार और भौगोलिक विस्तार ही इस नई श्रेणी के वर्गीकरण का आधार है। इस वर्गीकरण में इन कंपनियों को 0 से 100 अंक निर्धारित किए गए हैं। इंडियन ऑयल और ओएनजीसी जैसी कंपनियां जिनका नाम फॉरच्युन 500 में शुमार है को सर्वाधिक 99 अंक दिए गए हैं। वर्तमान में इन कंपनियों की चार श्रेणियां हैं। इस वर्गीकरण का आधार वर्ष 1997 का प्रस्ताव था। इसके तहत रियायत संरचना और बोर्ड स्तरीय कार्यकारियों को समाहित किया गया था।
इस समीक्षा समिति का मानना है कि वेतन पैनल की रिपोर्ट न्यायसंगत नहीं है क्योंकि इसके अंतर्गत एक ही श्रेणी की कंपनियों के आकार और प्रदर्शन में काफी अंतर है। मिसाल के तौर पर इंडियन ऑयल जिसकी वर्ष 2006-07 में कुल आय 2,18,934 करोड़ रुपये रही को मुंबई रेल विकास कॉरपोरेशन लिमिटेड के साथ रखा गया है जिसकी वार्षिक आय 17 करोड रुपये रही थी। इसके बावजूद वर्तमान तंत्र के अनुसार अगर कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है तो उसे ऊपर की श्रेणी में प्रोन्नति मिल जाती है लेकिन अगर कोई कंपनी खराब प्रदर्शन करती है तो उसका स्थान नही बदलता है।