आगामी तिमाहियों में कंपनियों के प्रदर्शन पर अंतरिम बजट का असर पड़ सकता है। हालांकि क्षेत्र के हिसाब से सरकारी खर्च का कुल खाका बताता है कि ज्यादातर फायदा निर्माण व इन्फ्रा क्षेत्र की कंपनियों को होगा और उपभोक्ता सामान बनाने वाली फर्मों को मामूली लाभ मिलेगा।
कुल सरकारी खर्च वित्त वर्ष 24 के संशोधित अनुमान के मुकाबले वित्त वर्ष 2024-25 में सालाना आधार पर 6.1 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। हालांकि अगले वित्त वर्ष में सरकारी खर्च में ज्यादातर बढ़ोतरी की प्रकृति पूंजीगत होगी, मसलन परिवहन व अन्य फिजिकल इन्फ्रा में सार्वजनिक निवेश के तौर पर। इसके उलट, बजट में वित्त वर्ष 25 के दौरान राजस्व खर्च में कमी का अनुमान लगाया गया है जिसमें सार्वजनिक कर्ज पर ब्याज भुगतान शामिल नहीं है।
बाजार के विश्लेषकों के मुताबिक बजट प्रस्ताव से वित्त वर्ष 25 के दौरान संबंधित कंपनियों की तरफ से पूंजीगत खर्च और निवेश में बेहतरी नजर आएगी, वहीं उपभोक्ता कंपनियां पिछड़ सकती हैं।
सिस्टमैटिक्स इंस्टिट्यूशनल इक्विटी के उप-प्रमुख धनंजय सिन्हा ने कहा कि इसमें मौजूदा रुझान बरकरार रह सकता है, जहां उपभोक्ता सामान बनाने वाली कंपनियां मसलन हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी और एशियन पेंट्स काफी कम या कम वॉल्यूम वृद्धि का सामना कर रही हैं। लेकिन पूंजीगत खर्च से संबंधित कंपनियां मसलन एलऐंडटी राजस्व व लाभ में तेज गति से वृद्धि के जरिये उम्दा प्रदर्शन करेगी।
अन्य का कहना है कि बजट का कंपनियों की आय पर बहुत असर शायद नहीं पड़ेगा। इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व सीईओ जी. चोकालिंगम ने कहा कि बाजार के नजरिये से बॉन्ड बाजार शायद बेहतर राजकोषीय एकीकरण से खुश हो सकता है, लेकिन इक्विटी बाजारों के नजरिये से हमें नहीं लगता कि यह बजट आगामी वर्ष में आय की दिशा पर बहुत ज्यादा असर डालेगा।
पिछले 12 महीने में एफएमसीजी दिग्गजों मसलन हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी ने शुद्ध बिक्री व शुद्ध लाभ में एक अंक की बढ़ोतरी के लिए संघर्ष किया है और एक्सचेंजों पर वे पिछड़ी हुई हैं।
इसकी तुलना में लार्सन ऐंड टुब्रो, मारुति सुजूकी और बजाज ऑटो ने शुद्ध बिक्री व शुद्ध लाभ में दो अंकों की मजबूत बढ़ोतरी दर्ज की है, जिससे उनके शेयरों की कीमतों में खासी उछाल आई है। केंद्र सरकार का राजस्व खर्च अनुमानित तौर पर वित्त वर्ष 25 में सालाना आधार पर 3.9 फीसदी घटकर 20.78 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचेगा।