ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने के लिए सरकार नई नीति तैयार करने जा रही है। सामान्य उड़ानों के लिए अगले 3-4 माह में नए नियम आ सकते हैं।
यह भी योजना है कि एयर कारगो नीति जल्द तैयार हो।सामान्य उड़ानों के लिए बड़े परिप्रेक्ष्य में बन रही नीति में प्राइवेट चार्टर, कार्पोरेट जेट संचालन भी शामिल होंगे। इसका संबंध कमोवेश व्यावसायिक एयरपोर्ट नीति से होगा। नागरिक उड्डयन मंत्रायल केसंयुक्त सचिव केएन श्रीवास्तव ने कहा, ‘परियोजना लागत और आकार में निजी उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया जाएगा, जो ऐसी परियोजना लाना चाहते हैं।
व्यावसायिक एयरपोर्टों से यह इस मामले में भिन्न होगा कि कंपनियां किसी भी स्थान का चयन कर सकेंगी, उनमें बड़े शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी।’ मंत्रालय पहली प्राथमिकता दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को दे रही है जहां सामान्य उड़ानों के लिए निजी एयरपोर्ट बनने हैं।
सामान्य उड़ानों का बाजार बहुत बड़ा होने जा रहा है, क्योंकि किंगफिशर, जीएमआर, बी-जेट्स और रिलांयस निजी चार्टर उड़ानें शुरू करने की योजना बना रहे हैं। सामान्य उडानों का कुल बाजार इस समय 8 करोड़ डॉलर के होने का अनुमान है और उम्मीद की जा रही है कि अगते तीन साल में इसमें 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।
एयर कारगो नीति में अन्य विशेषताओं के अलावा कारगो विलेज की अवधारणा भी शामिल होगी। इससे घरेलू कारगो सेवाओं के कारोबार का विस्तार होगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कारगो विलेज एक ऐसा क्षेत्र होगा, जहां सभी एयर कारगो उडानों का परीक्षण होगा। उसके बाद ही उन्हें एयरपोर्टों पर भेजा जाएगा।’
इस नीति में एयरपोर्टों के इलेक्ट्रानिक डेटा इंटरचेंज (ईडीआई) को लागू करने की भी योजना बन रही है, जिससे कारगो से लाए गए माल को तेजी से क्लियरेंस मिल सके। ईडीआई एक ऐसी प्रक्रिया है, जिससे एयरपोर्ट, मालवाहक विमान से लाए गए माल की जानकारियों का आदान-प्रदान होता है।
यह सूचना कारगो के एयरपोर्ट पर पहुंचने से पहले ही मिल जाती है। इस तकनीक से निर्यात के मामले में माल के क्लियरेंस में 10-12 घंटे और आयात के मामले में वर्तमान प्रक्रिया की तुलना में 24 घंटे की बचत होगी। इस समय इनके क्लियरेंस में कई दिन लग जाते हैं।
यह तरीका इस समय किसी भी एयरपोर्ट पर लागू नहीं किया गया है। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली और मुंबई में जल्द ही इसे लागू करने की योजना है।सेंटर फार एशिया पैसिफिक एविएशन (सीएपीए) के एक अध्ययन के मुताबिक भारत 30 बड़े कारगो बाजारों में शामिल है। पिछले दो साल में इसका कारोबार 10-12 प्रतिशत बढ़ा है। उम्मीद की जा रही है कि अगले 10 साल में बाजार में 20-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।