आम बजट खाद्य तेल (Edible Oil) कारोबारियों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। इन कारोबारियों की राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन और खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने की उम्मीद पूरी नहीं हुई।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में सभी वर्ग को खुश करने की कोशिश की है, लेकिन खाद्य तेल कारोबारियों को खुश नहीं कर पाई।
कारोबारियों को उम्मीद थी कि बजट में केंद्र सरकार आयातित खाद्य तेल की मांग को कम करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन शुरू करेगी, लेकिन इस संबंध में कोई घोषणा नहीं की गई है।
भारत लगभग एक लाख करोड़ रुपये खाद्य तेल के आयात में खर्च करता है। अगर सरकार इस बजट में खाद्य तेल मिशन की घोषणा करती तो आने वाले समय में 30 से 40 फीसदी आयात कम किया जा सकता है।
दिल्ली खाद्य तेल संघ के सचिव हेमंत गुप्ता कहते हैं कि सरकार ने खाद्य तेल सस्ते करने के लिए इनके आयात पर शुल्क काफी घटा दिए थे। जिससे आयातित तेलों की आपूर्ति ज्यादा होने से इनके दाम घटे हैं। साथ ही इससे देश में घरेलू तेल उद्योग और तिलहन किसानों को नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा ऐसे में सरकार को घरेलू खाद्य तेल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बजट में खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क को बढ़ाने की घोषणा करनी चाहिए थी क्योंकि घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिलने पर ही देश खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर हो पाएगा। बजट में खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क न बढ़ने से खाद्य तेल कारोबारियों को निराशा हाथ लगी है।