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2021-22 में स्वास्थ्य क्षेत्र पर बढ़ेगा बजट आवंटन

Last Updated- December 12, 2022 | 9:56 AM IST

महामारी की वजह से आगामी 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है। उम्मीद है कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर कुल व्यय मामूली बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.3 प्रतिशत हो सकता है, जो कई साल से स्थिर बना हुआ है। इसका इस्तेमाल देश में कोरोनावायरस टीका लगाने के लिए किया जा सकता है, जो इस तरह की विश्व की सबसे बड़ी कवायद है।  राज्यों को मिलाकर सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च कई साल से जीडीपी के 1.14 के आसपास स्थिर बना हुआ है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति  2017 में 2025 तक स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाकर जीडीपी का 2.5 प्रतिशत करने पर जोर दिया गया है।
बहरहाल केंद्र की हिस्सेदारी कई साल से जीडीपी के 0.3 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है। अगर स्वास्थ्य पर खर्च चालू वित्त वर्ष में बजट के अनुमान के बराबर भी रहता है तो यह जीडीपी में हिस्सेदारी के हिसाब से 0.35 प्रतिशत होगा, जो हाल के वर्षों में सबसे ज्यादा होगा। इसकी वजह यह है कि आधिकारिक रूप से इस बार अर्थव्यवस्था 7.7 प्रतिशत सिकुडऩे का अनुमान लगाया गया है।
बहरहाल व्यय इससे ज्यादा होगा क्योंकि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत कोविड से संबंधित व्यय बढ़ा दिया है। वित्त मंत्रालय के अनुमानों के मुताबिक उसने इस मद मेंं 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल की अध्यक्षता में टीके पर बनी राष्ट्रीय विशेषज्ञों की समिति ने यूरोप के देशों से तुलना करते हुए कहा कि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र पर जीडीपी का करीब 1.15 प्रतिशत खर्च किया जाता है, जबकि यूरोप के देशों में जीडीपी के 8 प्रतिशत से ज्यादा खर्च किया जाता है।  पॉल ने कहा है कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए व्यय में तत्काल सुधार की जरूरत है।
बहरहाल जो लोग टीके का भुगतान करने में सक्षम हैं, उन्हें इसके लिए धन खर्च करना पड़ सकता है। पहले चरण में अगली पंक्ति के कार्यकर्ताओं को मुफ्त टीका दिया जाएगा। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि उसके बाद उपलब्धता के आधार पर मुफ्त देने पर विचार होगा।
चर्चा में शामिल रहे अधिकारी ने कहा, ‘अगली पंक्ति के कर्मचारियों व वरिष्ठ नागरिकों के टीकाकरण मेंं 4 से 6 महीने लगेंगे। शुरुआत में मौजूदा हेल्थकेयर चैनल का इस्तेमाल अगली पंक्ति के कर्मचारियों के लिए किया जाएगा। बाद में अन्य सरकारी वितरण नेटवर्क का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे बेहतर पहुंच बन सके।’ अधिकारी के मुताबिक अगली पंक्ति के कर्मचारियों के बाद सरकार का ध्यान ग्रामीण व शहरी गरीबों पर होगा, जो सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाते हैं।
उद्योग के अनुमान के मुताबिक टीकाकरण अभियान पर 60,000 से 65,000 करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं। बहरहाल अधिकारी ने संकेत दिए कि बजट में इतनी बड़ी राशि के आवंटन की संभावना नहीं है।
एक सूत्र ने कहा कि सरकार का लक्ष्य पूरे टीकाकरण अभियान को राशन की दुकान पर मिलने वाले अनाज की तरह मिलना सरल बनाना है। उपरोक्त उल्लिखित सूत्र ने कहा कि बेहतर पहुंच के लिए सरकार आधार संख्या के आधार पर शहरी व  ग्रामीण गरीबों को चिह्नित करेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि 2021-22 के बजट में स्वास्थ्य खर्च पर ध्यान बढ़ाया जाएगा, वहीं उद्योग ने भी इसी तरह की मांग रखी है। कॉन्फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने सुझाव दिया है कि सरकार को एकमुश्त बढ़े बजट आवंटन के माध्यम से केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) और एक्स सर्विसमैन कंटीब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) के पुराने बकायों का भुगतान करना चाहिए। मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विदेशी नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वालों को विदेशी मुद्रा में आमदनी को कर से छूट दी जानी चाहिए। सीआईआई ने स्वास्थ्य परियोजनाओं पर कर प्रोत्साहन के प्रावधान की भी मांग की है।
मैक्स वेंटिलेटर के संस्थापक और सीईओ अशोक पटेल ने कहा, ‘शहर के स्तर के मेडिकल उपकरण विनिर्माताओं को सरकार समर्थिकत गोदाम सेवाएं मुहैया कराने के साथ मेडिकल उपकरण के किसी भी सरकारी टेंडर में कम से कम 60 प्रतिशत खरीद घरेलू विनिर्माताओं के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए।’
महामारी के बीच टेलीमेडिसिन लोकप्रिय हुआ है। अपोलो टेलीहेल्थ के सीईओ विक्रम थाप्लू ने कहा, ‘मौजूदा कर नीतियां और नियम टेलीमेडिसिन, होम हेल्थकेयर और डायग्नोस्टिक टेस्ट को कवर नहीं करते, जिससे लोगों की जेब पर असर पड़ता है।’ ज्यादा मूल्य के स्वास्थ्य बीमा को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योग ने स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर छूट की सीमा स्वयं, परिवार व बच्चों के लिए मौजूदा 25,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये करेन की मांग की है।

First Published - January 12, 2021 | 11:14 PM IST

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