Union Budget 2024: हाल के वर्षों की तुलना में रक्षा बजट मं पूंजीगत व्यय से आवंटन बढ़ा है। मोटे तौर पर पूंजीगत व्यय किसी दीर्घकालिक परिसंपत्ति जैसे नए उपकरण की खरीद या निर्माण होता है। राजस्व व्यय में हर साल का खर्च, जैसे दिए जाने वाले वेतन पर आने वाला खर्च शामिल होता है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) द्वारा बजट के आंकड़ों के विश्लेषण के मुताबिक पूंजीगत व्यय का हिस्सा बढ़कर अब 1.8 लाख करोड़ रुपये या कुल बजट का 29.3 प्रतिशत हो गया है, जो इसके पहले 26.9 प्रतिशत था। यह पिछले 11 वर्षों में सर्वाधिक है। इसके पहले का उच्च स्तर 2013-14 में था, जब रक्षा बजट में पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी 31.6 प्रतिशत थी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर दिए एक बयान में कहा कि घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए 1,05,518.43 करोड़ रुपये निर्धारित करने से आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा मिलेगा। सीमा की सड़कों पर होने वाला आवंटन पूंजीगत व्यय के तहत पिछले साल से 30 प्रतिशत बढ़ाया गया है। बीआरओ को 6500 करोड़ रुपये आवंटन से हमारे सीमा संबंधी बुनियादी ढांचे को बल मिलेगा।
उन्होंने कहा कि स्टार्टअप, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों तथा नवप्रवर्तकों द्वारा दिए गए तकनीकी समाधानों को धन मुहैया कराने तथा रक्षा उद्योगों में स्टार्टअप के लिए वातावरण बनाने के की योजना के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि आवंटित की गई है।
हाल के वर्षों में चीन के साथ तनाव के बीच यह बढ़ोतरी की गई है। 2023 के रक्षा बजट पर लक्ष्मण बेहरा द्वारा लिखित ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के नोट में कहा गया है कि संभावित सहयोगियों के साथ साझेदारी भारत की कुछ रक्षा जरूरतों को पूरा करने में मदद कर सकती है, लेकिन आधुनिकीकरण एक महत्त्वपूर्ण अनिवार्यता बनी हुई है।
इसमें कहा गया है, ‘चीन अपनी सेना पर बड़ी धनराशि खर्च करता है और भारत रक्षा व्यय में चीन के खर्च के साथ मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में इस तरह की साझेदारी फायदेमंद हो सकती है। इसके बावजूद भारत के हित में होगा कि वह रक्षा खर्च में तेज बढ़ोतरी करता रहे ताकि चीन की तुलना में असमानता कम हो सके।’