संसद का बजट सत्र (17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र) बुधवार को शुरू हो रहा है। सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करेंगी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को लेखानुदान पेश करेंगी। वित्त मंत्री जम्मू-कश्मीर के लिए बजट भी पेश करेंगी जहां राष्ट्रपति शासन लागू है। इस सत्र में आठ बैठकें होंगी और यह 9 फरवरी को समाप्त होगा।
नए संसद भवन में केंद्रीय कक्ष न होने के कारण राष्ट्रपति लोकसभा कक्ष में दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देंगे।
बजट सत्र की पूर्वसंध्या पर हुई सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार के पास बजट सत्र के लिए कोई विधायी एजेंडा नहीं है।
उन्होंने कहा कि बजट सत्र में राष्ट्रपति का अभिभाषण, धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा, अंतरिम बजट प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर का बजट अहम होगा। जोशी ने कहा, ‘विपक्ष ने सुझाव दिए हैं। लेकिन यह वर्तमान लोकसभा का अंतिम सत्र है और हमने कहा है कि हम उन्हें अगले सत्र में एक मौका देंगे।’
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, 1952 के बाद से सत्रों की संख्या के लिहाज से 17वीं लोकसभा सबसे छोटी पूर्णकालिक लोकसभा होने जा रही है। बजट सत्र की आठ बैठकों को जोड़कर देखा जाए तो 17वीं लोकसभा में 9 फरवरी तक 273 दिनों की बैठक हुई जिसमें सितंबर 2023 में चार दिनों का विशेष सत्र शामिल है।
औसत आधार पर सालाना 55 बैठकें हुईं (अंतिम सत्र की निर्धारित आठ बैठकें सहित), जिनमें कोरोनावायरस महामारी की वजह से वर्ष 2020 में बैठकों की घटी संख्या शामिल है जो 33 थी। इससे पहले, पूरे पांच साल के कार्यकाल को पूरा करने वाली सभी लोकसभाओं में 16वीं लोकसभा (2014-19) में सबसे कम (331 दिन) और 14वीं लोकसभा के दौरान (वर्ष 2004-09) 332 दिन तक काम हुआ।
1952 के बाद से 17वीं लोकसभा पहली ऐसी लोकसभा है जिसमें उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ। संविधान के अनुच्छेद 93 के मुताबिक ‘लोकसभा को जल्द से जल्द, सदन के दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुना जाएगा।’
विपक्ष ने इस दौरान संसद की स्थायी समितियों के पास कम विधेयकों को भेजने और 17वीं लोकसभा के कार्यकाल के दौरान अक्सर अध्यादेश जारी करने के लिए सरकार की आलोचना की है। मौजूदा लोकसभा के कार्यकाल के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर सांसद निलंबित किए गए।
जोशी ने मंगलवार को कहा कि पिछले सत्र के दौरान निलंबित किए गए विपक्षी दलों के 14 सांसद बजट सत्र में भाग लेने के लिए वापस आएंगे जिनके मामले को विशेषाधिकार समितियों के पास भेजा गया था।
उन्होंने कहा कि दोनों सदनों के सभापतियों ने सांसदों का निलंबन रद्द करने के सरकार के अनुरोध पर सहमति दी है। सांसदों ने शीतकालीन सत्र के दौरान अपने आचरण पर खेद जाहिर किया है जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा समितियों ने उनके निलंबन को वापस लेने की सिफारिश की है।
शीतकालीन सत्र के दौरान कुल 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था, जिनमें से करीब 100 लोकसभा सदस्य और बाकी राज्यसभा सदस्य थे। इनमें से 14 सांसदों के आचरण पर गंभीरता से विचार करते हुए उन्हें दो सदनों की संबंधित विशेषाधिकार समितियों के पास भेज दिया गया। बाकी 132 को शीतकालीन सत्र की बाकी बैठकों के लिए निलंबित कर दिया गया था जो 21 दिसंबर को खत्म हुआ। संसद परिसर में 13 दिसंबर को सुरक्षा में सेंध लगने के बाद आगंतुकों की निगरानी के लिए कड़े सुरक्षा उपाय जारी रहेंगे।
सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस सांसद डी के सुरेश ने कहा कि पार्टी बजट सत्र के दौरान बेरोजगारी, महंगाई और मणिपुर में जातीय संघर्ष का मुद्दा उठाएगी। वहीं तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि वित्त मंत्री को लेखानुदान में पश्चिम बंगाल के लिए लंबित बकाया राशि आवंटित करनी चाहिए। समाजवादी पार्टी (सपा) के एस टी हसन ने धर्मस्थलों के अधिनियम को और मजबूत बनाने की मांग की है। यह कानून किसी भी धर्मस्थल को उसके 15 अगस्त, 1947 के रूप में ही बने रहने का निर्देश देता है और उनके धार्मिक चरित्र को बनाए रखते हुए उसमें किसी भी तरह के बदलाव की इजाजत नहीं देता है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे की जगह लेने वाले कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का कहना है कि देश में ‘अलिखित तानाशाही’ बरकरार है। उन्होंने केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय सहित जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद जैसे विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया।