यहां अग्रणी ब्रोकरेज फर्मों व रिसर्च हाउस के विचारों का संकलन पेश है कि उन्होंने बजट प्रस्ताव का क्या अर्थ निकाला और इस पृष्ठभूमि में वे किन क्षेत्रों व शेयरों पर तेजी का नजरिया रखते हैं।
गोल्डमैन सैक्स
बजट ने वित्तीय स्थायित्व के हर पहलू का ध्यान रखा। करों को लेकर मान्यताएं वास्तविक नजर आ रही हैं।
आरबीआई को वित्त वर्ष 24 की दूसरी छमाही में सरकारी बॉन्ड खरीद को फिर से सहारा देना पड़ सकता है। हमारे इक्विटी रणनीतिकारों का मानना है कि बुनियादी ढांचा व पूंजीगत खर्च के मामले में संवेदनशील क्षेत्रों के लिए यह बजट सकारात्मक है क्योंकि पूंजीगत खर्च के लिए बड़ी रकम रखी गई है।
मॉर्गन स्टैनली
पूंजीगत खर्च में तीव्र बढ़ोतरी, बेहतर राजकोषीय एकीकरण, इक्विटी पर पूंजीगत लाभ कर में कोई बदलाव नहीं, उम्मीद से कम बाजार उधारी और आरबीआई के रुख में संभावित बदलाव शेयरों के लिए बेहतर हैं। बजट में शायद मतलब निकल रहा है कि आय अनुमान में बढ़ोतरी की दरकार हो सकती है और हम बीएसई सेंसेक्स के ईपीएस से 10 फीसदी आगे बने हुए हैं।
यूबीएस
इस बजट में बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण तथ्य है व्यक्तिगत आयकर में कमी। इससे खर्च योग्य आय बढ़ेगी, जो उपभोग के लिए सकारात्मक है। यूबीएस ने एचयूएल और एशियन पेंट्स को खरीद की रेटिंग दी है। पीएम आवास योजना पर परिव्यय बढ़ना होम इम्प्रूवमेंट कंपनियों के लिए सकारात्मक है।
एचएसबीसी
बॉन्ड बाजार के सामने शायद अहम सवाल यह है कि क्या बैंक वित्त वर्ष 24 में सरकारी प्रतिभूतियां उसी तरह खरीदेंगे, जैसा कि वे वित्त वर्ष 23 में कर रहे थे। बाजार में आरबीआई का ओपन मार्केट ऑपरेशन होगा, लेकिन मेरा मानना है कि यह सिर्फ तभी होगा जब भुगतान संतुलन में ठीक-ठाक कमी होगी।
मोतीलाल ओसवाल
राहत की बात यह रही कि सरकार ने लोकलुभावन बजट पेश नहीं किया। इसके साथ ही न तो पूंजीगत खर्च की रफ्तार में इजाफा और न ही कराधान में बदलाव बड़ा अंतर ला सकता है। वित्त वर्ष 24 में 5.9 फीसदी घाटे का अनुमान और बाद में इसे जीडीपी के 4.5 फीसदी पर लाने की कोशिश और चुनौतीपूर्ण हो गई है।