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मारुति सुजूकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा, भारत में ईवी के लिए बैटरी निर्माण का अभाव बाधा

दुनिया के 90 प्रतिशत से ज्यादा दुर्लभ मैग्नेट का प्रसंस्करण और निर्यात करने वाले चीन ने अप्रैल 2025 में निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हलचल मचा दी।

Last Updated- August 26, 2025 | 9:55 PM IST
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मारुति सुजूकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने मंगलवार को इसे लेकर चिंता जताई कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के विस्तार के संबंध में भारत की सबसे बड़ी बाधा स्थानीय बैटरी निर्माण का अभाव है। उन्होंने कहा कि कोई भी कंपनी देश में बैटरी सेल का उत्पादन नहीं कर रही है और एक संयंत्र बनाने में कच्चे माल की कमी के अलावा लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत आती है।

वैश्विक बैटरी पारिस्थितिकी तंत्र पर चीन का दबदबा है और वह दुनिया की लगभग 85 प्रतिशत बैटरी उत्पादन क्षमता के साथ-साथ लीथियम और कोबाल्ट के प्रसंस्करण पर भी नियंत्रण रखता है। चीन द्वारा अप्रैल से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण दुर्लभ मैग्नेट की कमी के बारे में उन्होंने कहा, ‘यह समस्या शायद हल हो रही है। मैंने सुना है कि दुर्लभ मैग्नेट की समस्या हल हो सकती है, लेकिन यह एक खतरनाक संकेत था।’ दुनिया के 90 प्रतिशत से ज्यादा दुर्लभ मैग्नेट का प्रसंस्करण और निर्यात करने वाले चीन ने अप्रैल 2025 में निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हलचल मचा दी।

भारत की अपनी हालिया दो दिवसीय यात्रा के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कथित तौर पर भारत को आश्वासन दिया कि उनका देश दुर्लभ मैग्नेट, उर्वरकों और सुरंग खोदने वाली मशीनों आदि से जुड़ी प्रमुख निर्यात चिंताओं का समाधान करेगा। मारुति सुजूकी भारत में ईवी बैटरियों का कब से उत्पादन करने की योजना बना रही है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता। अभी हमने इसकी शुरुआत नहीं की है। भारत में कोई भी बैटरी सेल नहीं बना रहा है। आज इलेक्ट्रिक वाहनों की यही एक समस्या है। लोग बैटरी की पैकेजिंग कर रहे हैं और इसका वास्तविक उत्पादन नहीं हो रहा है।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्यात के लिए मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड की पहली इलेक्ट्रिक कार ई-विटारा लॉन्च करने के बाद कंपनी के हंसलपुर संयंत्र में पत्रकारों से बात करते हुए, ‘बैटरी संयंत्र लगाना ज्यादा लागत वाला काम है। मुझे बताया गया है कि एक बैटरी संयंत्र लगाने में 20,000 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है। इसके अलावा, कच्चे माल की भी समस्या है।’

भार्गव ने कहा कि किसी चीनी कंपनी के साथ साझेदारी करके और उसे उस उद्यम में बड़ी हिस्सेदारी देकर कच्चे माल की आपूर्ति सुनिश्चित करना संभव है। उन्होंने कहा, ‘अभी तक किसी ने ऐसा नहीं किया है।’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘बैटरी की वजह से इलेक्ट्रिक वाहन बनाने में काफी समस्या आ रही है। अगर मैं बैटरियां आयात करूं, तो यह महंगा पड़ेगा। अगर हम बैटरियों की पैकेजिंग करते हैं, तो हमें 15 प्रतिशत का लाभ मिलता है। हम यहां बैटरियों की पैकेजिंग भी नहीं करते। इसलिए, व्यक्तिगत रूप से, मैं घरेलू बाजार में बड़ी प्रतिबद्धता जताने से परहेज करूंगा, क्योंकि इसका मतलब होगा बड़ी संख्या में बैटरियां आयात करना।’

First Published - August 26, 2025 | 9:51 PM IST

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