जेनेवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मोटर शो के टाटा मोटर्स पवेलियन में बैठा वह शख्स बेहद उत्साहित है।
जेनेवा के अंतरराष्ट्रीय मोटर शो की इस भीड़ में उजले रंग की पतली धारी वाली शर्ट और बेढंग सूट पहने वाघ की खुशी लाजिमी भी है। उसकी आंखों में जो अजीब सी चमक है, वह साफ इशारा कर रही है कि उसने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी चुनौती को सबसे बड़ी जीत में तब्दील कर दिया है।
वह शख्स कोई और नहीं बल्कि दुनिया की सबसे सस्ती कार को मूर्त रूप देने वाले, गिरीश अरुण वाघ हैं। वाघ ने नैनो को बना कर लाखों-करोड़ों लोगों के नयनों को ही नहीं बल्कि उनके दिलों को भी जीता है। पिंपरी (पुणे) में स्थित कंपनी के इंजीनियरिंग अनुसंधान केंद्र, जहां नैनो को बनाया गया है, के अध्यक्ष भी वाघ ही हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि नैनो की आधारशिला वाघ ने ही रखी है। उल्लेखनीय है कि इसी साल के जनवरी महीने में दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित ऑटो एक्सपो में नैनो पर से पहली बार परदा उठाया गया था। लेकिन दुखद बात यह है कि नैनो के प्रदर्शन के बाद मीडियावालों ने ‘नैनोकार’ को ही हाशिए पर छोड़ दिया। लेकिन नैनोकार वाघ ने इसका कतई मलाल नहीं किया।
बाद में उन्होंने इस हकीकत से भी लोगों को रूबरू कराया कि किस तरह उनकी पूरी टीम चार साल के अथक प्रयास के बाद नैनो को मूर्त रूप दे सकी। नैनो की योजना जब शुरू की गई थी तो उस वक्त केवल पांच लोगों की टीम थी।
लेकिन बीती जनवरी को जब नैनो को लोगों और मीडिया के सामने लाया गया तो कंपनी की टीम की संख्या 5 से 500 तक पहुंच चुकी थी। एक मजेदार बात यह भी है कि नैनो की स्थापना टीम में वाघ को शामिल नहीं किया गया था।
जिस वक्त नैनो की योजना पर काम चल रहा था उस वक्त वाघ, टाटा की ही एक मोटरगाड़ी, मिनी ट्रक ऐस को अंतिम रूप दे रहे थे। गौरतलब है कि ऐस के मार्केट में उतरने के बाद टाटा मोटर को काफी फायदा हुआ था।
वाघ बताते हैं कि साल 2005 के अगस्त महीने के आसपास नैनो की शैसि को तैयार कर लिया गया था। उसके बाद दिसंबर 2005 में इसे फिर से परिष्कृत किया गया। वाघ एक ऐसे इंजन की तलाश में जुटे थे, जो किफायती होने के साथ-साथ बेहतर प्रदर्शन भी कर सके।
वाघ और उनकी टीम ने बजाए किसी विशेषज्ञ से इंजन खरीदने की बजाय उन्होंने इन-हाउस इंजन बनाने की ठानी। शुरुआती दौर में जब इंजन को तैयार किया जा रहा था, तो उस वक्त इंजन की क्षमता 542 सीसी थी।
इसके बाद इसमें थोड़ा सुधार लाकर इंजन को 583 सीसी कर दिया गया। इसके बाद इंजन को थोड़ा और परिष्कृत किया गया और अंतत: नैनो के इंजन को 623 सीसी कर दिया गया। वाघ की इस परिकल्पना के लिए काफी वाहवाही हुई थी।
इसमें कोई शक नहीं कि नैनो के सामने सबसे बड़ी चुनौती मारुति सुजुकी की एक कार, मारुति 800 से थी। बहरहाल, जल्द ही इंजन के मामले को निपटा लिया गया। अब उनके सामने दूसरा लक्ष्य नैनो की बॉडी स्टाइल को आकर्षक बनाने का था।
नैनो को आकर्षक बनाने के लिए टीम ने नैनो की लंबाई और व्हील बेस को बढ़ाने की ठानी। वाघ ने बताया, ‘ नैनो के आगे के हिस्से को 100 एमएम बढ़ाने पर इसकी खूबसूरती और भी बढ़ गई।’
वाघ ने यह भी बताया कि नैनो की योजना बनाते वक्त तीन चीजों को प्राथमिकता में रखी गई थी।
नैनो आम लोगों के बजट में हो यानी इसकी कीमत पर पूरा ध्यान दिया जाए और साथ ही इसे इस तरह तैयार किया जाए कि वर्तमान और भविष्य, दोनों की जरूरतों पर यह खरी उतरे।
उल्लेखनीय है कि कार का पहला परीक्षण साल 2006 के मार्च से दिसंबर महीने में किया जाना था। लिहाजा, नैनो का पहला परीक्षण मई 2006 में किया गया। इसका परीक्षण राजस्थान के एक गुप्त स्थान पर किया गया। वाघ ने बताया कि आने वाले समय में यह एक राज ही बना रहेगा कि टाटा ने किस गुप्त स्थान पर नैनो का परीक्षण किया था।
बहरहाल, टाटा ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना यानी आम आदमी के लिए बनी ‘आम कार’ का दीदार देशवासियों को करवा दिया है। टाटा की महत्वाकांक्षी योजना का पूरा श्रेय वाघ और उनकी टीम को ही जाता है।
उनकी पूरी टीम ने इस योजना को पूरी करने के लिए हफ्ते के छह दिनों में 11 घंटे अथक परिश्रम कर इस सपने को पूरा किया है।