मारुति सुजूकी के पास चीन से आयातित दुर्लभ खनिज मैग्नेट का स्टॉक केवल जुलाई के अंत तक ही चलेगा। अगर समस्या का तब तक समाधान नहीं हुआ तो कंपनी आकस्मिक योजना तैयार करेगी, जिसमें विकल्पों की तलाश भी शामिल है।
चीन द्वारा दुर्लभ खनिज चुंबकों के आयात को मंजूरी न दिए जाने के असर के बारे में पूछने पर मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा, ‘हमारे पास दुर्लभ खनिज चुंबकों का जुलाई के अंत तक का स्टॉक है। हमें ही नहीं सभी को उम्मीद है कि चीन आपूर्ति बहाल करेगा। हम विकल्प भी तलाश रहे हैं। लेकिन इस समय कुछ भी निश्चित नहीं कहा जा सकता। उनके साथ बातचीत चल रही है।’ दुर्लभ खनिज मैग्नेट के लिए अब वाहन कंपनियों के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है।
भार्गव ने कहा कि आयात में कमी से चीनी और भारतीय दोनों ही कंपनियों पर असर पड़ रहा है तथा इससे किसी को फायदा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, ‘चीन के भारत में महत्त्वपूर्ण व्यापारिक हित भी हैं। इसलिए वे जो कर रहे हैं, उसमें कोई तर्क नहीं है। वाणिज्यिक हितों को नुकसान पहुंचाकर वे दोनों देशों की कंपनियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए वास्तव में किसी को लाभ नहीं हो रहा है।’ कई इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन कंपनियां विकल्पों का परीक्षण कर रही हैं – जैसे भारी दुर्लभ खनिज चुंबकों को हल्के दुर्लभ खनिज चुंबकों से बदलना जो चीन के निर्यात नियंत्रण के अंतर्गत नहीं आते हैं। इस बारे में पूछने पर भार्गव ने कहा, ‘अभी काफी जल्दबाजी है, लेकिन मेरी समझ से इससे कार में उसी तरह की दक्षता नहीं आएगी।’
कंपनी पहले ही अपने पहले इलेक्ट्रिक वाहन ईवीएक्स के उत्पादन कार्यक्रम में कटौती का ऐलान कर चुकी है। इसे जुलाई में घरेलू बाजार में लॉंच किया जाना था और कंपनी पहले से ही इसका निर्यात यूरोप को कर रही है। कंपनी ने अप्रैल-सितंबर की अवधि के अपने उत्पादन लक्ष्य में दो-तिहाई की कटौती की है। हालांकि उसका इरादा अब भी वर्ष के अंत में उत्पादन बढ़ाकर 67,000 वाहनों के समूचे वर्ष के लक्ष्य को पूरा करना है। कुछ अन्य कार विनिर्माताओं ने संकेत दिया है कि स्टॉक कुछ समय तक चलेगा। उदाहरण के लिए ह्युंडै ने दक्षिण कोरिया में निवेशकों के साथ बातचीत में कहा कि उसके पास एक साल से ज्यादा समय तक चलने के लिए दुर्लभ खनिज मैग्नेट का पर्याप्त स्टॉक है।