बुनियादी ढांचा, खनन गतिविधियों, सिंचाई परियोजनाएं, ई-कॉमर्स, वाहन व अन्य क्षेत्रों में आई तेजी के दम पर दिसंबर में वाणिज्यिक वाहनों की थोक बिक्री में खासा सुधार देखा गया। मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री सालाना आधार पर हालांकि स्थिर रही, लेकिन मासिक आधार पर उसमें 38 फीसदी की उछाल दर्ज हुई। हल्के वाििणज्यिक वाहनों की बिक्री सालाना आधार पर करीब 14 फीसदी बढ़ी जबकि मासिक आधार पर उसमें 14.5 फीसदी का इजाफा हुआ। गिरावट की मुख्य वजह बसों की बिक्री पर दबाव रही, जिस पर लगातार दबाव बना हुआ है।
मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों की मांग साल 2019 के कोविड पूर्व स्तर पर आ रही है लेकिन अभी भी साल 2018 के स्तर से काफी पीछे है। हालांकि उद्योग की कंपनियों ने कहा कि साल 2018 के आंकड़ों से तुलना करना ठीक नहीं है क्योंंकि साल 2020 में एक्सल लोड के नियम संशोधित हुए। कंपनियों ने कहा कि तीन ट्रकों के जरिए होने वाली कार्गो की ढुलाई अब दो ट्रकों से हो रही है।
रियायत व अनलॉकिंग के बाद छोटे वाणिज्यिक वाहनों व हल्के वाणिज्यिक वाहनों में सुधार हुआ। जब आर्थिक गतिविधियां बहाल हुई तो हल्के वाणिज्यिक वाहन और मध्यम व भारी वाणिज्यिक टिप्पर की मांग में सुधार हुआ, वहीं लॉन्ग-हॉल की मांग सुधर रही है।
टाटा मोटर्स के अध्यक्ष (वाणिज्यिक वाहन कारोबारी इकाई) गिरीश वाघ ने कहा, मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहन व आईऐंडएलसीवी ने सुधार की अगुआई की है, जिसने वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के मुकाबले क्रमश: 10 व 7 फीसदी सुधरा, जिसकी वजह बुनियादी ढांचे (सड़क निर्माण, खनन व ई-कॉमर्स समेत)की उच्च मांग रही। खुदरा के मुकाबले थोक मांग ज्यादा रही।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, वाणिज्यिक वाहन उद्योग की प्रकृति साइक्लिकल है। उद्योग ने पिछला उच्चस्तर साल 2018-19 में देखा था, उसके बाद से गिरावट आ रही है।
उन्होंने कहा, इस बार हमने मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में लंबी गिरावट देखी है और गिरावट की यह रफ्तार नरमी के पिछले चक्र के मुकाबले और ज्यादा रही है। उन्होंंने कहा कि मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों मेंं सुधार का उत्साहजनक हिस्सा एमऐंडएचसीवी कार्गो में सुधार है, जो इस साल पहली बार पिछले साल के मुकाबले बेहतर रहा है और इसकी रफ्तार 16 फीसदी रही है।
अशोक लीलैंड के सीओओ अनुज कथूरिया ने कहा, माह दर मांग बेहतर हो रही है और दिसंबर अलग नहीं था। इस माह में आईसीवी (जो उद्योग के कुल वॉल्यूम में 30 फीसदी की भागीदारी करता है) और टिप्पर के जरिए बिक्री आगे बढ़ी। इसकी वजह सड़क निर्माण की गतिविधियों, सिंचाई परियोजनाओं, वाहनों की आवाजाही, स्टील, सीमेंट, कंटेनर व अन्य में सुधार रही।
कथूरिया ने कहा, लॉन्ग हॉल क्षेत्र बेहतर है, लेकिन इसमें कितनी बेहतरी जारी रहेगी इस पर नजर रखने की दरकार है। उन्होंने कहा कि साल 2018 के आंकड़ों से तुलना ठीक नहीं है क्योंकि तब एक्सल लोड के संशोधित नियम नहींं थे। जिन कार्गो को तीन ट्रक ले जाते थे, वे अब दो ट्रकों के जरिए ढोए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईसीवी व टिप्पर की मांग साल 2018 के स्तर पर लौट रही है। कुल मिलाकर हमेंं उम्मीद है कि 2021-22 बेहतर रहेगा।
इनपुट मैटीरियल की लागत में बढ़ोतरी का दबाव रहेगा, जिसके बारे में उन्हें भरोसा है कि ग्राहक इस पर नजर डालेंगे क्योंकि बीएस-6 मानक वाले वाहनों की कुल लागत बेहतर होगी और ट्रकों की मांग बढ़ रही है।
डैमलर इंडिया कॉमर्शियल व्हीकल के प्रबंध निदेशक व सीईओ सत्यकाम आर्य ने कहा, बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में सरकार के निवेश और खनन गतिविधियों में तेजी से साल 2021 में तीव्र सुधार होगा। मध्यम ड््यूटी ट्रकों की मांग मेंं भी सुधार हो रहा है, जो कृषि उत्पादों की आवाजाही से संबंधित है। मध्यम व भारी वाणिज्यिक वाहनों की मांग कोविड पूर्व के स्तर पर आ रही है लेकिन यह अभी भी साल 2018 के स्तर से नीचे है।