वे यहां ईटी नाउ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, े यह केवल उन परियोजनाओं से सम्बद्ध नहीं है जिन पर काम चल रहा है। निजी क्षेत्र से अनेक दावे लंबित हैं जिनके एवज में धन जारी नहीं किया जा रहा, इससे प्रणाली में नकदी पर बड़ा दबाव बन रहा है। े
कोचर ने कहा, े मेरे विचार में फैसले करने में अब भय बन चुका है। यह पूरा माहौल है। आज हर फैसले पर न्यायपालिका या मीडिया की नजर है। इसके अनेक उदाहरण हैं। े
उन्होंने इस बारे में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण :एनएचएआई: का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने वाली एजेंसी ने 60,000 करोड़ रपये मूल्य के दावों का निपटान नहीं किया है। े
कोचर ने कहा, े मुझे नहीं पता कि ये दावे वास्तविक हैं या नहीं क्योंकि किसी को तो फैसला करना होगा। े उन्होंने कहा कि देश के रूप में हमें यह े कहना होगा कि हम किसी के लिए भी काम करना असंभव बना रहे हैं। े