मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जय थरेजा ने संक्षिप्त बयान दर्ज किया जब पुलिस ने आवेदन दिया था जिसमें सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीडि़ता का बयान दर्ज करने के लिए अदालत से अनुमति मांगी गई थी।
लड़की का बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष उनके चैंबर में दर्ज किया गया। इसे जांच के दौरान इकबालिया बयान माना जाएगा और मुकदमे में अपने मामले के समर्थन में अभियोजन पक्ष द्वारा इस्तेमाल किया जाएगा।
मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान आरोपी, गवाह को मुकदमे के दौरान अपने बयान से मुकरने वालों को बाध्य करती है और इस तरह के किसी कृत्य के लिए शपथ लेकर झूठी गवाही देने को लेकर मुकदमा चलाए जाने के लिए जिम्मेदार बनाती है।
बंद कमरे में एक घंटे तक चली कार्यवाही के दौरान दस्तावेज और लड़की के बयान वाली फाइल को दर्ज किया गया। उसके बाद उसे सीलबंद लिफाफे में रखा गया।
दिल्ली पुलिस में सूत्र ने बताया कि दक्षिण दिल्ली के सरोजिनीनगर अपार्टमेंट की छत तक पीडि़ता रोशनदान से निकलकर बाहर आई और पड़ोसियों की मदद मांगी। पुलिस ने पीडि़ता को बचाने के लिए एक एनजीओ की मदद ली।
पुलिस के अनुसार लड़की को सोमवार को बचाए जाने के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया जहां उन्होंने कहा था कि उसे कई बार बेल्ट से पीटा गया, भूखे रखा गया और मकान में बंद करके रखा गया।
पुलिस ने बताया कि न तो उसे और न ही उसके परिवार को काम के लिए भुगतान किया गया। लड़की और उसकी नियोक्ता मणिपुर की है। वह एयर इंडिया के लिए काम करती है।
आरोपी के खिलाफ चोट पहुंचाने, गलत तरीके से कैद करने, बाल श्रम और बंधुआ मजदूरी के संबंध में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
भाषा