भारत में आर्थिक वृद्धि और आमदनी की कुंद पड़ती धार ने छोटी कंपनियों की तुलना में देश की शीर्ष एवं बड़ी कंपनियों पर अधिक तगड़ी चोट की है। सितंबर 2025 तिमाही में निफ्टी 50 कंपनियों के संयुक्त शुद्ध मुनाफे (असाधारण लाभ और हानि के लिए समायोजित) की वृद्धि दर 12 तिमाहियों के निचले स्तर 1.2 प्रतिशत तक फिसल गई। यह बात जरूर रही कि सभी सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 10.8 प्रतिशत बढ़ा जो पिछली छह तिमाहियों में सबसे तेज है।
इसी तरह, वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में निफ्टी 50 कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री (बैंकों और अन्य ऋणदाताओं के लिए सकल ब्याज आय) में सालाना आधार पर केवल 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछले 17 तिमाहियों में सबसे धीमी गति से बढ़ी है। इसकी तुलना में सभी सूचीबद्ध कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 7.2 प्रतिशत बढ़ी, जो पहली तिमाही में दर्ज 6.64 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत सालाना आधार पर दर्ज वृद्धि से बेहतर है।
सितंबर 2025 तिमाही में खस्ता प्रदर्शन के बाद निफ्टी 50 कंपनियों की आय की वृद्धि दर अब लगातार चार तिमाहियों से सभी कंपनियों की संयुक्त आय से पिछड़ रही है। कुल मिलाकर, इस सूचकांक की कंपनियों की आय जून 2023 (वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही) से शुरू होकर पिछली 10 तिमाहियों में से 8 में पिछड़ गई है। इसके उलट निफ्टी 50 कंपनियों ने मार्च 2022 और मार्च 2023 के बीच लगातार पांच तिमाहियों तक भारतीय उद्योग जगत से बेहतर प्रदर्शन किया था।
इससे देश में कंपनियों के समस्त मुनाफे में निफ्टी 50 कंपनियों के योगदान में लगातार गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में कंपनियों के संयुक्त मुनाफे में निफ्टी कंपनियों की हिस्सेदारी घटकर 50 प्रतिशत हो गई, जो कम से कम पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है और तीन साल पूर्व दर्ज लगभग 60 प्रतिशत से तेजी से काफी कम है।
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में निफ्टी 50 कंपनियों का संयुक्त शुद्ध मुनाफा बढ़कर लगभग 1.81 लाख करोड़ रुपये हो गया जबकि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा लगभग 1.79 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 2.02 लाख करोड़ रुपये से इसमें 10.4 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके साथ,वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में सूचकांक कंपनियों की संयुक्त कमाई पिछली चार तिमाहियों में सबसे कम थी।
तुलना करें तो बिज़नेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल सभी 2,647 कंपनियों का संयुक्त शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में बढ़कर 3.62 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में यह 3.27 लाख करोड़ रुपये था मगर वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 3.77 लाख करोड़ रुपये से 3.9 प्रतिशत फिसल गया। वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में कंपनियों की संयुक्त आय पिछली तीन तिमाहियों में सबसे कम थी। विश्लेषकों की नजर में निफ्टी 50 कंपनियों की कमाई कम रहने की बड़ी वजह मझोली और छोटी कंपनियों का मजबूत प्रदर्शन है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने दूसरी तिमाही की आय पर कहा, ‘वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में निफ्टी-500 कंपनियों की आय पर मझोली एवं छोटी कंपनियों ने तगड़ी चोट की है। मिडकैप-150 कंपनियों की कुल आय में सालाना आधार पर 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि स्मॉलकैप-250 कंपनियों ने सालाना आधार पर 37 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। तुलनात्मक रूप से लार्ज-कैप (निफ्टी 100) के लिए आय में वृद्धि सालाना आधार पर 10 प्रतिशत दर्ज की गई।’
इस ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार निजी क्षेत्र के बैंकों और वाहन निर्माता कंपनियों के कमजोर आंकड़ों के कारण दिग्गज एवं बड़ी कंपनियों की हालत और पतली हो गई। इलारा कैपिटल के विश्लेषकों का मानना है कि आर्थिक हालत पर निर्भर कुछ कंपनियों के खराब प्रदर्शन की मार बड़ी कंपनियों के प्रदर्शन पर पड़ी है। हालांकि, अन्य विश्लेषकों का कहना है कि लार्जकैप शेयर और शेष कंपनियों के प्रदर्शन के बीच अंतर अधिक समय तक नहीं दिखेगा।