दिसंबर में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर गिरकर 22 माह के निचले स्तर 4.95 प्रतिशत पर आ गई है। ज्यादा आधार और खाद्य और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों का दबाव कम होने की वजह से थोक महंगाई में कमी आई है।
नवंबर 2022 में थोक महंगाई दर 5.85 प्रतिशत थी, जबकि दिसंबर 2021 में यह बढ़कर 14.27 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। उद्योग विभाग की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर में खाद्य महंगाई (-1.25 प्रतिशत) संकुचित हुई है, जो नवंबर में 2.17 प्रतिशत थी। सब्जियों की कीमत एक साल पहले की तुलना में 36 प्रतिशत गिरी है। बहरहाल मोटे अनाज, धान, गेहूं, दलहन की कीमत दिसंबर में बढ़ी है। यह लगातार तीसरा महीना है जब थोक महंगाई एक अंक में रही है, जबकि इसके पहले लगातार 18 महीने तक थोक महंगाई दो अंकों में रही थी।
मौद्रिक नीति के फैसलों में भारतीय रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों को देखता है, लेकिन थोक महंगाई दर गिरने से आने वाले समय में खुदरा महंगाई दर और कम होगी, जो दिसंबर में 12 महीने के निचले स्तर 5.72 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। दिलचस्प है कि खुदरा महंगाई दर दिसंबर महीने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर से लगातार दूसरे महीने कम है और इन दोनों के बीच अंतर बढ़कर 75 आधार अंक हो गया है, जबकि नवंबर में महज 3 आधार अंक का अंतर था।
खुदरा महंगाई दर में गिरावट मुख्य रूप से अहम खुदरा मुद्रास्फीति में कमी के कारण आई है। प्रमुख थोक महंगाई दर में गैर खाद्य और गैर तेल वस्तुएं होती हैं। इसमें भी लगातार सातवें महीने कमी आई है और यह दिसंबर में 3.2 प्रतिशत रह गई है। नवंबर में प्रमुख थोक महंगाई दर 3.4 प्रतिशत थी। विनिर्मित वस्तुओं के दाम में सुस्त वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है।
बहरहाल दिसंबर में ईंधन की महंगाई (18.09 प्रतिशत) बढ़ी है, क्योंकि एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में पेट्रोल की कीमत बढ़ी है। विनिर्मित वस्तुओं की महंगी दिसंबर में घटकर 3.37 प्रतिशत हो गई, जिसमें खाद्य, तंबाकू, टेक्सटाइल, चमड़ा, कागज, रसायन और दवाओं ने अहम भूमिका निभाई है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा दिसंबर में एक श्रेणी के खाद्य की कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन खाद्य के मोर्चे पर चिंता बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘मोटे अनाज की महंगाई दर दिसंबर में लगातार पांचवें महीने दो अंकों में बनी हुई है। अब यह 113 माह के उच्च स्तर पर है। धान और रागी को छोड़ दें तो अन्य सभी मोटे अनाज की महंगाई सतत रूप से दो अंक में बनी हुई है। दूध की महंगाई दर 92 माह के उच्च स्तर पर और दिसंबर में 7 प्रतिशत बढ़ी है।’
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले महीने की तुलना में गिरावट के बावजूद कुछ खाद्य वस्तुओं की अगर जनवरी की शुरुआत से तुलना करें तो औसत थोक महंगाई दर बढ़ी है। इसकी एक बड़ी वजह प्रतिकूल आधार है। उन्होंने कहा, ‘बहरहाल दिसंबर की तुलना में डॉलर रुपये में विनिमय का मासिक औसत जनवरी महीने में मजबूत रहा है। इसकी वजह डॉलर सूचकांक में गिरावट है। इसकी वजह से आगामी महीनों में आयात की लागत कम होगी। कुल मिलाकर जनवरी महीने में थोक महंगाई दर 4.5 से 4.9 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है, उसके बाद मार्च 2023 तक इसमें 2 प्रतिशत कमी आएगी।’