सरकार ने सरकारी और सरकारी उपक्रमों के अनुबंधन संबंधी विवादों को निपटाने के लिए बुधवार को विवाद से विश्वास-2 योजना पेश की है।
इस योजना की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की गई थी, जिसका मकसद निजी क्षेत्र के सरकार के साथ चल रहे विवादों को निपटाया जा सके, याचिकाएं खत्म हो सके और कारोबार सुगमता की स्थिति में सुधार हो।
500 मामले निपटाने का लक्ष्य
इस योजना के तहत दावे पेश करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2023 रखी गई है। यह योजना सभी घरेलू अनुबंध विवादों में लागू होगी, जहां एक पक्ष सरकार या सरकार के नियंत्रण में आने वाला उद्यम है।
केंद्र सरकार ने नई स्वैच्छिक समाधान योजना के तहत करीब 500 मामले निपटाने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 1 लाख करोड़ रुपये फंसा हुआ है। एकमुश्त समाधान योजना में वे मामले शामिल होंगे, जिनमें 30 अप्रैल, 2023 तक न्यायालय ने आदेश पारित किया है और न्यायाधिकरण आदेश 30 जनवरी 2023 तक पारित हुआ है।
योजना के तहत जिन मामलों में 30 अप्रैल 2023 के पहले आदेश पारित हुआ है, कौन्ट्रैक्टर को न्यायालय द्वारा निर्दिष्ट या बरकरार रखी गई राशि का 85 प्रतिशत तक देने की पेशकश की जाएगी। वहीं जिन मामलों में 1 जनवरी, 2023 तक न्यायाधिकरण का आदेश आया है, उसमें निपटान की राशि कुल आदेशित राशि के 65 प्रतिशत तक होगी।
योजना सभी तरह की खरीद पर लागू
सरकार की इकाइयों जैसे तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के तमाम विवाद निजी ठेकेदारों के साथ है।
व्यय विभाग द्वारा 29 मई को जारी दिशानिर्देश में कहा गया है कि यह योजना सभी तरह की खरीद पर लागू होगी, जिसमें वस्तुएं, सेवाएं व काम शामिल है।
व्यय विभाग ने कहा है कि यह योजना सभी अर्निंग कॉन्ट्रैक्ट (जिसमें सरकार वस्तुओं, सेवाओं, अधिकारों आदि के बदले धन पाती है) के साथ सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) व्यवस्था के तहत आने वाले कॉन्ट्रैक्ट पर लागू होगी। पात्र पक्ष इसके लिए सिर्फ सरकार के ई-मार्केटप्लेस के माध्यम से दावे कर सकेंगे।