वैश्विक बाजारों के साथ साथ घरेलू बाजारों में भी आज इसी उम्मीद से तेजी आई कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपने सख्ती के चक्र को समाप्त कर सकता है। अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में नरमी से भी धारणा मजबूत हुई।
सेंसेक्स 490 अंक या 0.8 प्रतिशत चढ़कर 64,081 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी-50 सूचकांक 144 अंक की तेजी के साथ 19,133 पर बंद होने में कामयाब रहा।
अमेरिकी मौद्रिक नीति निर्माताओं ने बुधवार को अपनी नीतिगत दर अपरिवर्तित बनाए रखी। हालांकि, उन्होंने बैठक के बाद एक बयान में संकेत दिया कि दीर्घावधि बॉन्ड प्रतिफल में हालिया तेजी से आगामी दर वृद्धि की आवश्यकता कम हो गई है।
हालांकि फेड ने हालात बिगड़ने पर अन्य दर वृद्धि की गुंजाइश बरकरार रखी है। 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल फेड के दर संबंधित निर्णय से पहले 4.93 प्रतिशत से घटकर 4.66 प्रतिशत से नीचे आ गया।
करीब 16 साल बाद अक्टूबर में, 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 5 प्रतिशत के पार पहुंच गया था। फेडरल रिजर्व द्वारा और ज्यादा मौद्रिक नीतिगत सख्ती की आशंका के बीच इस प्रतिफल में तेजी आई थी।
फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक बैठक दर बैठक निर्णय लेगा और दिसंबर की बैठक में बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, वित्तीय हालात तथा भूराजनीतिक जोखिम से जुड़े आंकड़ों को शामिल किया जाएगा। पॉवेल ने कहा कि फेडरल रिजर्व इजरायल-हमास युद्ध के आर्थिक प्रभाव का आकलन करने पर ध्यान दे रहा है।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज पीएमएस के मुख्य निवेश अधिकारी नवीन कुलकर्णी ने कहा, ‘अनुमानों के अनुरूप, फेडरल रिजर्व ने दरों को अपरिवर्तित बनाए रखा है। इसकी वजह से बॉन्ड प्रतिफल में नरमी और शेयर कीमतों में तेजी आई। फेडरल रिजर्व द्वारा भविष्य में दर वृद्धि को लेकर सतर्कता बरते जाने का अनुमान है, लेकनि ऊंची मुद्रास्फीति की चुनौतियां खेल बिगाड़ सकती हैं।’
उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा दिसंबर और अगले साल की पहली छमाही में दर वृद्धि पर विराम लगाए जाने की संभावना है जिससे इक्विटी और बॉन्ड बाजारों को मदद मिलेगी, लेकिन बढ़ते टर्म प्रीमियम से वित्तीय बाजारों पर दबाव पड़ सकता है। कुल मिलाकर, वृहद हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं, लेकिन अगले 12 से 18 महीनों में सुधार आ सकता है।’
अक्टूबर में वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह 1.72 लाख करोड़ रुपये पर रहा, जिससे भी धारणा मजबूत हुई।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘सकारात्मक वाहन आंकड़ों, जीएसटी संग्रह में वृद्धि, दूसरी तिमाही में अनुमान से बेहतर आय के साथ घरेलू परिदृश्य अनुकूल है।’
अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी और इजरायल-हमास युद्ध से जुड़ी चिंताओं ने निवेशकों को पिछले तीन महीनों के दौरान बगैर जोखिम वाली निवेश परिसंपत्तियों की ओर मोड़ दिया है। अक्टूबर में, बीएसई का सेंसेक्स 3 प्रतिशत गिर गया, जो दिसंबर 2022 से इसकी सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 21,680 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जो जनवरी से सर्वाधिक बड़ी निकासी है।
बुधवार की तेजी के बावजूद, निवेशक पश्चिम एशिया में युद्ध के परिणाम को लेकर चिंतित बने हुए हैं। निवेशकों को चिंता है कि कहीं यह संघर्ष ईरान और अन्य तेल उत्पादक देशों तक न पहुंच जाए। अगर ऐसा हुआ तो तेल कीमतों में इजाफा हो जाएगा।