रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के ऋणदाता और शेयरधारक अपने वित्तीय सेवा कारोबार को अलग करने के लिए 2 मई, 2023 को बैठक करेंगे। इससे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) क्षेत्र सहित कई सेगमेंट के मजबूत खिलाड़ियों के बीच एक और दिग्गज खड़ी होने की उम्मीद है। योजना के अनुसार, आरआईएल के शेयरधारकों को आरआईएल के प्रत्येक शेयर के बदले अलग की जाने वाली इकाई में एक शेयर मिलेगा।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि कारोबार को अलग करने की प्रक्रिया के बाद रिलायंस की स्ट्रेटजिक इन्वेस्टमेंट्स के शेयरों का नाम जियो फाइनैंशियल सर्विसेज होगा और इसके शेयर एनएसई और बीएसई पर सूचीबद्ध होंगे।
दरअसल, राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण के मुंबई पीठ के आदेश के बाद ऋणदाताओं और शेयरधारकों की बैठक हो रही है।
कारोबारों को अलग करने के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताते हुए कंपनी ने कहा कि वित्तीय सेवाएं, रिलायंस समूह द्वारा किए जाने वाले कई कारोबारों में से एक है। वित्तीय सेवा कारोबार की आगे की वृद्धि और विस्तार के लिए अलग तरह की रणनीति की जरूरत होगी जो उद्योग विशेष से जुड़े जोखिमों, बाजार की गतिशीलता और वृद्धि के अनुरूप हो।
वित्तीय सेवाओं के कारोबार की प्रकृति और प्रतिस्पर्धा, अन्य कारोबारों से अलग है और यह निवेशकों, रणनीतिक भागीदारों, ऋणदाताओं और अन्य हितधारकों के एक अलग वर्ग को आकर्षित करने में सक्षम है।
कारोबारों को अलग करने की प्रक्रिया से लाभ उठाने के बारे में कंपनी ने कहा कि इस कदम से एक स्वतंत्र कंपनी का निर्माण होगा जो विशेष रूप से वित्तीय सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी और इस क्षेत्र में अवसरों की तलाश करेगी। स्वतंत्र कंपनी अमूमन निवेशकों, रणनीतिक भागीदारों, ऋणदाताओं और वित्तीय सेवाओं के कारोबार में विशेष दिलचस्पी रखने वाले अन्य हितधारकों के विभिन्न वर्ग को आकर्षित कर सकती है।
एक वित्तीय सेवा कंपनी के लिए वृद्धि की अधिक संभावनाएं बनती हैं और यह इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकती है। यह अलग कंपनी के शेयरधारकों के लिए मूल्य की संभावनाएं भी बढ़ाएगा।
सब तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच पर जोर दिए जाने के साथ ही सरकार के साथ-साथ नियामक बैंकिंग, गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं (एनबीएफसी), बीमा और म्युचुअल फंड आदि सेवाएं तैयार करने के लिए नीतियां तैयार कर रहे हैं।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, एनबीएफसी और आवासीय वित्त कंपनियों ने वित्त वर्ष 2020-2022 के दौरान देखे गए रुझान की तुलना में उच्च वृद्धि की राह पर कदम रखा है। इस पृष्ठभूमि के लिहाज से प्रणालीगत तरीके से नकदी में कमी लाने के कदमों और वर्तमान में महंगाई की स्थिति को देखते हुए समय पर अनुकूल फंडिंग तक पहुंच महत्वपूर्ण हो जाती है।
रिटेल का ऋण दायरा
ऐसा अनुमान है कि एनबीएफसी और आवासीय वित्त कंपनियां (एचएफसी) वित्त वर्ष 2023 में 13-15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कर सकती हैं। वित्त वर्ष 2024 में यह वृद्धि 12-14 प्रतिशत के दायरे में रह सकती है, जबकि पिछले तीन वित्त वर्षों के दौरान 8.5 प्रतिशत की औसत वृद्धि देखी गई थी। खुदरा-एनबीएफसी और एचएफसी का कुल ऋण मार्च 2024 तक लगभग 30 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा जो मार्च 2022 में 23 लाख करोड़ रुपये था।