शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अपनाई गई सख्ती के बाद डेट फंड प्रबंधक अपनी रणनीतियों का पुन: आकलन कर रहे हैं। जहां कई डेट फंड प्रबंधक केंद्रीय बैंक की ओपन मार्केट परिचालन (ओएमओ) संबंधित घोषणाओं पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया देने से परहेज कर रहे हैं, वहीं वे अपनी योजनाओं की अवधि पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
डीएसपी म्युचुअल फंड में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख संदीप यादव ने कहा कि उन्होंने आरबीआई द्वारा अपनाए गए सख्त रुख को देखते हुए कुछ योजनाओं की अवधि घटाई है।
उन्होंने कहा, ‘जब हालात नियंत्रण में नहीं हों तो जोखिम घटाना ही समझदारी होती है। हाल में आई आरबीआई की मौद्रिक नीति ने बाजारों को आश्चर्य में डाल दिया है। हमने अपनी कुछ योजनाओं की अवधि घटाई है। हालांकि हम अभी तेजी की धारणा पर कायम रहेंगे और अपने मजबूत बॉन्ड फंड पोर्टफोलियो में मध्यावधि का नजरिया बरकरार रखेंगे।’
मध्यावधि-दीर्घावधि में कई डेट फंड श्रेणियों ने शुक्रवार को अपनी एनएवी में गिरावट दर्ज की। आरबीआई की घोषणा से प्रतिफल में वृद्धि होने के बाद इन श्रेणियों की एनएवी पर दबाव देखा गया।
गिल्ट और डायनेमिक बॉन्ड फंड श्रेणियों में कुछ श्रेणियों ने शुक्रवार को 0.9 प्रतिशत तक की बड़ी गिरावट दर्ज की। कई फंड प्रबंधक इस घटनाक्रम को अस्थायी मान रहे हैं और काफी हद तक अपरिवर्तित रणनीति के साथ बने रहना चाहते हैं।
बंधन एएमसी में प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) सुयश चौधरी ने कहा, ‘मौजूदा घटनाक्रम ने हमारे ऐक्टिव ड्यूरेशन फंडों में 9-14 वर्षीय बॉन्डों में ओवरवेट पोजीशन के लिए अल्पावधि चुनौती पैदा की है। हमने अब तक अधिक अनुकूल मांग-आपूर्ति हालात पर ध्यान दिया था। हालांकि अब आरआई सरकारी बॉन्डों का नया आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है।’
हालांकि चौधरी इस आधार पर अपनी रणनीति को जारी रखना पसंद करेंगे कि ओएमओ से सरकारी बॉन्ड की मांग-आपूर्ति की स्थिति में गिरावट की संभावना नहीं है।
डेट फंड प्रबंधकों का अवधि को लेकर नजरिया उनके डायनेमिक बॉन्ड फंड पोर्टफोलियो से स्पष्ट हुआ है। कई अन्य योजनाओं में, उनके पास अवधि पर दांव लगाने की सीमित गुंजाइश होती है। अगस्त के अंत में, 29 में से 6 योजनाओं की औसत पोर्टफोलियो परिपक्वता सात साल की थी। शेष में, 11 में औसत परिपक्वता पांच से सात साल के बीच थी।
कुछ फंड प्रबंधक बेहतर मांग और दर वृद्धि चक्र समाप्त होने की वजह से लंबी अवधि के सरकारी बॉन्डों पर उत्साहित हैं। यादव ने कहा कि लंबी अवधि के पत्र (30-40 साल) मांग-आपूर्ति के नजरिये से आकर्षक दिखते हैं।