कैलेंडर वर्ष 2023 इक्विटी निवेशकों के लिए काफी अच्छा साल साबित हुआ है और सूचकांकों ने नई ऊंचाई को छुआ है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के वरिष्ठ कार्यकारी उपाध्यक्ष और फंड मैनेजर (इक्विटी) जितेंद्र अरोड़ा ने पुनीत वाधवा को ईमेल के जरिये दिए साक्षात्कार में कहा कि लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से भारत आकर्षक बाजार बना हुआ है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
-क्या आप भारत में बाजारों के सीमित दायरे में रहने और सीमित बढ़त की पेशकश की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका व भारत में चुनाव होने हैं?
परिसंपत्ति की कीमतें फंडामेंटल और अल्पावधि के कारकों मसलन नकदी, सेंटिमेंट और माहौल (राजनीतिक/नीतिगत) आदि से जुड़ी होती हैं। भारतीय इक्विटी बाजारो ने पिछले कुछ वर्षों में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। घटते कर्ज और बेहतर लाभ के चलते भारतीय कंपनी जगत की सेहत काफी अच्छी है।
इसके साथ यह तथ्य भी है कि भारत अगले दशक में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना सकता है, जो उसे लंबी अवधि के लिहाज से निवेश का आकर्षक गंतव्य बनाता है।
ब्याज दर का मौजूदा वैश्विक परिदृश्य, मजबूत आर्थिक वृद्धि और भारतीय अर्थव्यवस्था के सकारात्मक आउटलुक के चलते यहां काफी मजबूत निवेश हो हा है, जो भारत के मूल्यांकन को प्रीमियम श्रेणी में पहुंचा रहा है। ऐसे में खास तौर से अल्पावधि के लिहाज से मिडकैप व स्मॉलकैप में सतर्कता बरतने की जरूरत है। हालांकि ठोस आर्थिक फंडामेंटल को देखते हुए भारतीय इक्विटी बाजार लंबी अवधि के निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बना रहेगा।
-कौन से क्षेत्र और शेयर आने वाले साल में अच्छी बढ़त की पेशकश कर रहे हैं?
हम उन शेयरों को प्राथमिकता देते हैं जिसे देसी वृद्धि की मजबूत क्षमता से लाभ मिल सके। विभिन्न क्षेत्रों की बात करें तो हमें बैंकिंग, बीमा, खुदरा, हॉस्पिटल्स और कैपिटल गुड्स के कुछ निश्चित शेयर पसंद हैं। इनमें से कुछ शेयर महंगे दिख सकते हैं, पर लंबी अवधि में वे अच्छी बढ़त हासिल करेंगे, जो उनके मौजूदा गुणक को उचित ठहराता है।
-अगले 12 महीने में इक्विटी सेगमेंट में आपको कितना निवेश आता दिख रहा है?
बाहरी झटकों को छोड़ दें तो हम विदेशी निवेश सकारात्मक रहने की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि लंबी अवधि के लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था आकर्षक है। अगले 12 महीने में बाजार का सेंटिमेंट एफआईआई निवेश को आगे ले जाएगा। आर्खिक स्थिरता और आय के अनुमान के कारण भारत मध्यम से लंबी अवधि में एफआईआई के रेडार पर ऊंचा स्कोर हासिल कर सकता है। हमें देसी संस्थागत निवेशकों की तरफ से बिकवाली की संभावना नहीं दिख रही।
-महंगाई और भूराजनीतक घटनाक्रम के बीच वैश्विक केंद्रीय बैंकों की नीतियां आपको कैसी नजर आ रही है?
हम कुछ और अवधि के लिए ऊंची दरें देख रहे हैं। अमेरिका में हमें नीतिगत दरें उच्चस्तर पर बने रहने की आशंका है और कैलेंडर वर्ष 2024 के मध्य तक दरों में कोई कटौती नहीं होगी, साथ ही अमेरिका में मंदी की संभावना काफी कम है।
भारत समेत एशिया के अन्य देशों में नीतिगत दरें स्थिर रहने की संभावना है। हालांकि कैलेंडर वर्ष 24 के दूसरे हिस्से में भारतीय रिजर्व बैंक दरें घटा सकता है। दरों पर यथास्थिति और वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में देसी बॉन्ड को शामिल किए जाने के कारण होने वाले संभावित निवेश के चलते भारतीय बॉन्ड का प्रतिफल स्थिर है।
-कंपनियों की आय को मोर्चे पर आगे की राह कैसी दिख रही है?
कंपनियों की आय निफ्टी की आय को सही तरीके से ट्रैक कर रही है जो वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में करीब 33 फीसदी बढ़ी। वित्त वर्ष 24/25 में आय की वृद्धि दर 24 फीसदी/14 फीसदी रहने की उम्मीद है और यह वृद्धि विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक आधारित होगी।
हम निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च में सुधार के लिहाज से शुरुआती चरण में हैं और उम्मीद है कि अगले 12 महीने में यह चक्र बेहतर रफ्तार प्रदर्शित करेगा, जिसकी वजह भारतीय कंपनी जगत की मजबूत बैलेंस शीट, चाइना प्लस वन और पीएलआई की अगुआई में हुई पहल है।