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नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को भरना होगा 100 करोड़ रुपये का जुर्माना

Last Updated- January 25, 2023 | 9:04 AM IST
Active users of NSE decreased for the tenth consecutive month, 1.5 million accounts decreased in April

प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कोलोकेशन मामले में लगाए गए अ​धिकांश जुर्माने और अनैतिक लाभ की वसूली का आदेश रद्द कर दिया है। यह आदेश भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अप्रैल 2019 में लगाया था। पंचाट ने एनएसई में वरिष्ठ अधिकारी रहे चित्रा रामकृष्ण तथा रवि नारायण पर जुर्माने का आदेश भी निरस्त कर दिया है। उसने बाजार नियामक से कहा है कि वे एक अन्य कंपनी ओपीजी सिक्योरिटीज पर लगाए गए अनैतिक लाभ की वसूली के आकार पर पुनर्विचार करे।

कोलोकेशन मामला एनएसई के मंच पर कुछ कारोबारियों को प्राथमिकता वाली पहुंच मुहैया कराने से संबं​धित है। इन चुनिंदा कारोबारियों को कीमतों के बारे में अग्रिम सूचना मिल जाती थी जिससे वे लाभा​न्वित हुए। एनएसई के कामकाज की एक अन्य जांच में सेबी ने पाया कि रामकृष्ण ने आनंद सुब्रमण्यन को समूह परिचालन अ​धिकारी तथा खुद का यानी प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्त करने में एनएसई बोर्ड की अनदेखी की थी। यह नियु​क्ति भारी भरकम वेतन-भत्ते पर की गई थी।

सेबी ने आदेश में कहा कि सेबी अ​धिनियम, 1992, प्रतिभूति अनुबंध (नियमन) अ​धिनियम, 1956 और प्रतिभूति अनुबंध (नियमन) (स्टॉक एक्सचेंज और ​क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस) नियमन, 2012 का कई बार उल्लंघन किया गया। हालांकि पंचाट ने कई उल्लंघनों की पु​ष्टि की लेकिन उसने जुर्माने की रा​शि कम कर दी। सैट के आदेश में जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए गए और यह प्रश्न बार-बार किया गया कि ‘सेबी ने एनएसई को खुद के ​खिलाफ जांच करने का निर्देश कैसे दिया?’ पंचाट ने कहा कि सेबी को खुद जांच करनी चाहिए थी, न कि इतने गंभीर मामले की जांच एनएसई को सौंपनी चाहिए थी। उसने यह भी कहा कि इस मामले में ​ढिलाई बरती गई।

सेबी ने अप्रैल 2019 में एनएसई से 625 करोड़ रुपये की अनैतिक लाभ वसूली का आदेश दिया था और इस रा​शि पर अप्रैल 2014 से सालाना 12 फीसदी की दर से ब्याज चुकाने को कहा था। इसके अलावा रामकृष्ण तथा नारायण के पांच वर्षों तक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार बुनियादी ढांचा संस्था या बाजार मध्यवर्ती कंपनी से जुड़ने पर भी रोक लगा दी गई थी। सेबी ने ओपीजी तथा उसके निदेशकों से भी 15.6 करोड़ रुपये तथा ब्याज की वसूली का आदेश जारी किया था।

हालांकि सैट ने एनएसई पर लगे जुर्माने को घटाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया जिसे निवेशक संरक्षण एवं ​शिक्षा कोष में जमा कराना होगा। इसमें पहले किए जा चुके भुगतान की रा​शि घटा दी जाएगी और सेबी को अतिरिक्त रा​शि एनएसई को लौटानी होगी। रामकृष्ण और नारायण पर जो रोक लगाई है उसमें भी उस समय को कम किया जाएगा जो दोनों अब तक बिता चुके हैं। सेबी से यह भी कहा गया है कि वह ओपीजी के ​खिलाफ अनैतिक लाभ की वसूली के आदेश की समीक्षा करे और चार महीने के भीतर संशो​धित रा​शि पेश करे। यद्यपि सैट ने ओपीजी द्वारा किए गए उल्लंघनों की पु​ष्टि की है। पंचाट ने इस राहत को यह कहते हुए उचित ठहराया कि एनएसई खुद किसी अनैतिक कार्य में संलिप्त नहीं था न ही उसने खुद को अनुचित ढंग से लाभा​न्वित किया। इसलिए अनेक अधिनियमों का पालन नहीं किए जाने के बावजूद अनैतिक लाभ की वसूली के निर्देश कुछ ज्यादा ही सख्त थे।

इस मामले में कई परतें हैं। यह स्पष्ट है कि एनएसई में संचालन संबंधी त्रुटियां हुई थीं। यह भी स्पष्ट है कि कोलोकेशन सुविधा का दुरुपयोग किया गया। सैट ने उचित ही यह संकेत किया कि सेबी को एनएसई से अपने ​खिलाफ जांच करने को नहीं कहना था। लेकिन संभवत: नियामक के पास इतना तकनीकी कौशल नहीं रहा हो कि वह बहुत कम समय के अंतराल पर हुए कई सौदों का विश्लेषण कर पाए।

बहरहाल, अलगोरिद्म कारोबार के बढ़ते इस्तेमाल वाले माहौल में नियामक को ऐसे जटिल हालात की जांच की क्षमता ​विकसित करनी होगी और उसे निरंतर उन्नत भी बनाना होगा। निवेशकों के हितों की रक्षा और प्रतिभूति बाजारों की ईमानदारी बरकरार रखने के लिए सेबी को यह करना ही होगा।

First Published - January 25, 2023 | 9:04 AM IST

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