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Monsoon Rain: मूसलाधार वर्षा में पुल-सड़क साफ, पहाड़ी इलाकों में 30 साल की सबसे भीषण बारिश

हिमाचल प्रदेश में कई दूसरी नदियां भी खतरे का स्तर लांघ गई हैं। इससे हिमाचल के साथ उत्तर भारत के अन्य वर्षा प्रभावित राज्यों में चिंता बढ़ गई है।

Last Updated- July 10, 2023 | 10:52 PM IST

उत्तर भारत (Rain in North India) के कई हिस्सों में बारिश ने कहर बरपाया है। हिमालय के पहाड़ी इलाकों में पिछले 30 साल की सबसे भीषण बारिश होने के कारण दर्जनों राष्ट्रीय राजमार्ग और पुल पूरे या आंशिक रूप से टूट गए हैं। हिमालय की पहाड़ियों में पिछले 30 वर्षों में सबसे विकराल बारिश देखी गई है।

बारिश की सबसे ज्यादा मार हिमाचल प्रदेश में दिखी, जहां व्यास नदी के तेज बहाव में नए बने राजमार्ग भी पलक झपकते ही बह गए। नदी का जल स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने आज कहा, ‘बाढ़ और पंडोह बांध के सभी द्वार खुलने के कारण जल स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि हो गई, जिससे व्यास नदी पंडोह और टकोली के बीच द्ववाडा में राष्ट्रीय राजमार्ग के ऊपर आ गई। जलोगी सुरंग के पास भूस्खलन भी हुआ है।’

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की भी स्थिति पर नजर

एनएचएआई के अनुसार भारी बारिश और व्यास नदी में बाढ़ के कारण एनएच-3 के कुल्लू-मनाली खंड पर भी कई जगह नुकसान होने की सूचना मिली है। भारी बाढ़ के कारण मरम्मत का काम भी नहीं किया जा सकता। पर्यटकों को फिलहाल यात्रा टालने की सलाह दी गई है।

नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में कई दूसरी नदियां भी खतरे का स्तर लांघ गई हैं। इससे हिमाचल के साथ उत्तर भारत के अन्य वर्षा प्रभावित राज्यों में चिंता बढ़ गई है। इन राज्यों में भी सड़क धंसने की खबरें हैं। शिमला में आज दोपहर दो बजे तक 47 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।

सरकार ने भले ही हर मौसम के अनुकूल सड़कों का निर्माण किया होगा मगर देश की पहाड़ी सड़क और राष्ट्रीय राजमार्ग खराब मौसम के सामने अक्सर बरबाद होते रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि इसकी मुख्य वजह पर्यावरण मंजूरी में जल्दबाजी और बेतरतीब निर्माण है।

भीतर से कमजोर हो रही हैं सड़कें 

विशेषज्ञों का दावा है कि राजमार्गों पर जल निकास प्रणाली का डिजाइन खराब होने के कारण सड़कें भीतर से कमजोर हो रही हैं। इसलिए भूस्खलन की घटना बढ़ रही है। निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र पर पाबंदियों में ढिलाई और घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग भी राज्य में इस विनाश का एक प्रमुख कारण है।

एनएचएआई के अलावा अन्य एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं। प्रमुख जलविद्युत उत्पादक कंपनी एसजेवीएन ने हिमाचल प्रदेश में लुहरी चरण-1, सुन्नी बांध जलविद्युत परियोजना (एचईपी), धौलासिद्ध एचईपी और उत्तराखंड में 60 मेगावॉट नैटवाड़ मोरी एचईपी जैसी निर्माणाधीन परियोजनाओं की समीक्षा शुरू कर दी है।

कंपनी ने एक बयान में कहा कि ये ऐसी परियोजनाएं हैं जहां नदियों का स्तर कई गुना बढ़ गया है। एसजेवीएन ने इन परियोजनाओं के आसपास के क्षेत्रों पर करीबी नजर रखने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाने का भी निर्णय लिया है।

(साथ में संजीव मुखर्जी)

First Published - July 10, 2023 | 10:52 PM IST

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