Metal Companies Stock: टाटा स्टील (Tata Steel), जेएसडब्ल्यू स्टील, हिंडाल्को (Hindalco) और कोल इंडिया जैसी धातु और खनन कंपनियां हाल के महीनों में शेयर बाजार में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले क्षेत्रों में शामिल रही हैं। एसऐंडपी बीएसई मेटल इंडेक्स पिछले तीन महीने में 13 फीसदी बढ़ा है, जो व्यापक बाजार से बेहतर प्रदर्शन करते हुए पिछले साल 29 फीसदी बढ़ा है।
तुलना के लिहाज से देखें, तो बेंचमार्क एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स (Bse Sensex) में पिछले तीन महीने के दौरान केवल 1.7 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है। इसमें पिछले साल सितंबर के आखिर से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
संपूर्ण बाजार में नरमी के बावजूद धातु शेयरों में पिछले सप्ताह तेजी का रुख जारी रही। 29 सितंबर को समाप्त होने वाले सप्ताह के दौरान बीएसई मेटल इंडेक्स में 2.2 फीसदी का इजाफा हुआ था, जबकि इसी अवधि में बेंचमार्क सेंसेक्स में 0.3 फीसदी की साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई थी।
हालांकि घरेलू धातु और खनन क्षेत्र के शेयरों में इस तेजी को बुनियादी बातों का समर्थन हासिल नहीं है।
इस्पात, तांबा और एल्युमीनियम जैसी औद्योगिक धातुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतें कमजोर बनी हुई हैं तथा धातु और खनन कंपनियों ने वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही (वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही) के दौरान आय में गिरावट दर्ज की है।
एल्युमीनियम, तांबा और जस्ता सहित छह प्रमुख मूल धातुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निगाह रखने वाला लंदन मेटल एक्सचेंज इंडेक्स पिछले तीन महीने में स्थिर रहा है और पिछले वर्ष इसमें केवल चार प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जो बीएसई मेटल इंडेक्स की तुलना में बड़े अंतर के साथ कमजोर प्रदर्शन कर रहा है।
इस्पात का प्रदर्शन तो और भी खराब रहा है तथा वह मूल धातुओं से पिछड़ गया है। धातु के मामले में दुनिया के शीर्ष उपभोक्ता और उत्पादक चीन में हॉट-रोल्ड इस्पात के हाजिर दामों में पिछले वर्ष छह प्रतिशत की गिरावट आई है। इसी तरह घरेलू धातु उत्पादकों को वर्ष 2021-22 में अपने राजस्व और कमाई में उछाल अनुभव होने के बाद कमाई में बाधा का सामना करना पड़ रहा है।
बीएसई मेटल इंडेक्स में शामिल 10 कंपनियों का संयुक्त शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही पिछले साल के मुकाबले 38 प्रतिशत कम रहा। यह धातु और खनन कंपनियों की आय में पिछले साल की तुलना में गिरावट की लगातार पांचवीं तिमाही रही।
इसके अलावा इन कंपनियों की संयुक्त शुद्ध बिक्री वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में पिछले साल के मुकाबले तीन प्रतिशत कम रही, जो इस क्षेत्र की मांग में कमजोरी और कम कमाई का संकेत देती है।