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लोकसभा से निष्कासित की गईं Mahua Moitra

मोइत्रा ने कहा, ‘आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य है, स्वीकृत है तथा जिसे प्रोत्साहित किया गया है।’

Last Updated- December 08, 2023 | 10:24 PM IST
Court expressed 'surprise' at mediation by Mahua's lawyer

लोकसभा ने तृणमूल कांग्रेस सदस्य महुआ मोइत्रा को शुक्रवार को ध्वनि मत से निष्कासित कर दिया। सदन ने ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में अपनी आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद यह कदम उठाया। इस रिपोर्ट में मोइत्रा को अनैतिक आचरण का दोषी ठहराया गया है। आरोपी तृणमूल नेता को सदन में चर्चा के दौरान बोलने की इजाजत नहीं दी गई।

बाद में उन्होंने अपने निष्कासन की तुलना ‘कंगारू अदालत’ द्वारा दी जाने वाली सजा से की और आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को अपने आगे झुकाने के लिए लोकसभा की आचार समिति को हथियार बना रही है। दार्जिलिंग में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की सांसद के निष्कासन को भारतीय संसदीय लोकतंत्र का अपमान बताया और कहा कि पार्टी मोइत्रा के साथ खड़ी है।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की उस रिपोर्ट को चर्चा के बाद मंजूरी दी गई जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी।

विपक्ष, विशेषकर तृणमूल कांग्रेस ने आसन से कई बार यह आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में अपना पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले की संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।

सदन में चर्चा के बाद जोशी द्वारा रखे गए प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा, ‘महुआ मोइत्रा के खिलाफ सदन में प्रश्न पूछने के बदले नकदी लेने में प्रत्यक्ष संलिप्तता के संदर्भ में सांसद निशिकांत दुबे द्वारा 15 अक्टूबर को दी गई शिकायत पर आचार समिति की पहली रिपोर्ट पर विचार के उपरांत समिति के इन निष्कर्षों को यह सभा स्वीकार करती है कि सांसद महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक और संसद सदस्य के रूप में अशोभनीय है। इस कारण उनका लोकसभा सदस्य बना रहना उपयुक्त नहीं होगा। इसलिए यह सभा संकल्प करती है कि उन्हें लोकसभा की सदस्यता से निष्कासित कर दिया जाए।’ इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

प्रस्ताव पारित होने से पहले ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों के सदस्य सदन से बाहर चले गए। मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पारित होने के तत्काल बाद बिरला ने सदन की कार्यवाही अपराह्न करीब तीन बजकर 10 मिनट पर सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

लोकसभा की आचार समिति की सिफारिश पर सदन की सदस्यता से निष्कासित किए जाने के कुछ मिनट बाद अपनी प्रतिक्रिया में मोइत्रा ने कहा कि उन्हें उस आचार संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है और उन्हें नकदी या उपहार दिए जाने का कोई सबूत नहीं है।

मोइत्रा ने कहा, ‘आचार समिति मुझे उस बात के लिए दंडित कर रही है, जो लोकसभा में सामान्य है, स्वीकृत है तथा जिसे प्रोत्साहित किया गया है।’

उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ पूरा मामला ‘लॉगिन विवरण’ साझा करने पर आधारित है, लेकिन इस पहलू के लिए कोई नियम तय नहीं हैं। लोकसभा में आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने ‘प्राकृतिक न्याय’ का विषय उठाया और कहा कि सब कुछ जल्दबाजी में किया जा रहा है तथा मोइत्रा को उनकी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस की ओर से मनीष तिवारी ने कहा कि इस मामले में यहां उपस्थित सदस्य न्यायाधीश के रूप में हैं न कि पार्टी सदस्य के रूप में।

इस पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह संसद है न कि अदालत। उन्होंने कहा, ‘यह संसद है न कि कोर्ट है। मैं न्यायाधीश नहीं हूं, सभापति हूं, यहां मैं निर्णय नहीं कर रहा, बल्कि सभा निर्णय कर रही है।’

First Published - December 8, 2023 | 10:24 PM IST

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