भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने प्रीमियम आय बढ़ाने के लिए तीन तरफा नीति तैयार की है। एलआईसी ने नई पॉलिसियों की शुरुआत से लेकर डिजिटलीकरण सहित कारोबार बढ़ाने के लिए कई नई पहल की है।
एलआईसी के चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने मनोजित साहा और आतिरा वारियर के साथ साक्षात्कार में इन सभी विषयों पर चर्चा की। प्रमुख अंश:
-चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पहले वर्ष की प्रीमियम आय घटने के क्या कारण रहे। मार्च 2024 में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी कितनी रह सकती है?
पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में समूह प्रीमियम का आधार अधिक रहने से चालू वित्त वर्ष में कुल प्रीमियम घटा है। मगर व्यक्तिगत पॉलिसीधारकों की श्रेणी में प्रीमयम बढ़ रहा है। इस श्रेणी में बढ़ोतरी मामूली रही है। व्यक्तिगत प्रीमियम श्रेणी में हमारी बाजार हिस्सेदारी कभी 40 प्रतिशत से नीचे नहीं गई है। हम इसे और बढ़ाना चाह रहे हैं। आगे हमें अपनी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ने की उम्मीद है। पिछले वित्त वर्ष हमारी कुल बाजार हिस्सेदारी 65.58 प्रतिशत थी। चालू वित्त वर्ष के अंत तक हम इसे थोड़ा और बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। हम अपनी खोई बाजार हिस्सेदारी दोबारा पा लेंगे।
-बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एलआईसी क्या तरकीब अपनाएगी?
कंपनी सूचीबद्ध कराने के बाद हमारा पहला उद्देश्य पॉलिसियों में विविधता लाना था। इसका मुख्य मकसद पॉलिसियों में गैर-सहभागी पॉलिसियों की हिस्सेदारी उचित स्तर तक पहुंचाना था। नॉन-पार एपीई की हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत बढ़ गई थी। मार्च 2022 में यह हिस्सेदारी 7.12 प्रतिशत और मार्च 2023 में 8.89 प्रतिशत थी। अब यह 10.73 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है।
दूसरी रणनीति पॉलिसी वितरण में विविधता लाना है। हमारी 96 फीसदी पॉलिसी अभी एजेंटों के जरिये बिक रही हैं। अब हम बैंकएश्योरेंस मॉडल पर जोर दे रहे हैं, जिसकी हिस्सेदारी नए कारोबारी प्रीमियम के लिहाज से बढ़कर 3.42 प्रतिशत और नई पॉलिसियों के लिहाज से 2.1 प्रतिशत हो गई है। तीसरी रणनीति में हम डिजिटल माध्यम से अपना कारोबार बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं।
-हाल-फिलहाल कोई नई पॉलिसी लाने की योजना है?
हम नई पॉलिसियां शुरू करने जा रहे हैं। जल्द ही एलआईसी नियमित प्रीमियम वाली नॉन-पार पॉलिसी लेकर आएगी। यह पॉलिसी बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, इसलिए काफी आकर्षक होगी और दिसंबर के पहले हफ्ते में बाजार में आएगी। इसमें जीवनपर्यंत निश्चित रिटर्न दिया जाएगा।
-ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव के बीच नॉन-पार पॉलिसियों से कारोबार के नुकसान का भी डर रहता है। इससे कैसे निपटेंगे?
इस तरह की पॉलिसी तैयार करते समय हम प्रीमियम, ब्याज दरों से जुड़ी संभावना, खर्च, महंगाई जैसे सभी कारकों पर विचार करते हैं। ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा के लिए हमारे पास डेरिवेटिव पॉलिसी भी है। अप्रत्याशित हालात पैदा होने पर हम निश्चित समयसीमा के भीतर वह पॉलिसी बाजार से वापस ले लेंगे।