महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ने पर भी कर्नाटक विधानसभा में महिला प्रतिनिधियों में कोई इजाफा नहीं हुआ है।
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में 2.63 करोड़ महिलाओं ने मतदान किया, जबकि 2.66 करोड़ पुरुषों ने मताधिकार का प्रयोग किया। मतदान में महिलाओं की भागीदारी 49.7 फीसदी रही। फिर भी, महज 5 फीसदी महिलाएं ही सदन में प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
224 सीटों वाली विधानसभा में 10 महिलाओं का निर्वाचित होना अपने आप में एक रिकॉर्ड है। हालांकि, पिछले कुछ चुनाव में भी महिलाओं की इसके करीब ही भागीदारी रही है। हाल ही में सबसे कम भागीदारी 2008 में थी, तब सिर्फ एक फीसदी महिला ही विधायक थीं। हालांकि, यह भी एक सच है कि महिलाएं मतदान के मामले में भागीदारी की खाई को पाट रही हैं। साल 1962 के चुनाव में महज 52.8 फीसदी महिला मतदाताओं ने ही मतदान किया था। उसके बाद यह आंकड़ा बढ़कर 72.7 फीसदी हो चुका है। समान अवधि के दौरान पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 64.87 फीसदी से बढ़कर 73.68 फीसदी हो गया। महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच का अंतर अब घटकर 1 फीसदी से भी कम गया है, जो 1962 में 12.1 फीसदी था।
कॉर्नल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ सिटी ऐंड रिजनल प्लानिंग की नीमा कुडवा द्वारा ‘इंजीनियरिंग इलेक्शन्सः द एक्सपीरियंस ऑफ वीमेन इन पंचायती राज इन कर्नाटक, इंडिया’ शीर्षक के तहत 2003 में किए गए अध्ययन के अनुसार, भले ही जवाबदेही में सुधार अथवा प्राथमिकताओं में महत्त्वपूर्ण बदलाव को उजागर करना मुश्किल हो, मगर कर्नाटक में पंचायती राज आरक्षण का कुछ सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
इसमें कहा गया है, ‘इसके कारण महिलाएं कहीं अधिक दिखने लगीं, पंचायत राज संस्थानों में भ्रष्टाचार में कमी आई और महिला प्रतिनिधियों की स्वकुशलता में इजाफा हुआ।’