बाजारों के लिए सितंबर बेहद उतार-चढ़ाव वाला महीना साबित हुआ। जहां पहले पखवाड़े के दौरान बाजारों में बड़ी तेजी दर्ज की गई, वहीं दूसरे पखवाड़े के दौरान ज्यादातर तेजी गायब हो गई।
महीने के दूसरे पखवाड़े के दौरान बाजार में गिरावट को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा की गई भारी बिकवाली, बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल से पैदा हुई अनिश्चितता से बढ़ावा मिला।
प्राइम डेटाबेस द्वारा कराए गए आंकड़े में उन क्षेत्रों का खुलासा हुआ है, जिनमें वैश्विक फंड ज्यादा बिकवाली के मूड में दिखे। बिजली, वित्तीय सेवाओं और तेल, गैस एवं ईंधन जैसे क्षेत्रों के शेयरों में ज्यादा बिकवाली हुई। इन तीन क्षेत्रों से एफपीआई ने 11,000 करोड़ रुपये का निवेश घटाया और सिर्फ निर्माण एवं एफएमसीजी अन्य ऐसे क्षेत्र रहे, जिनमें एफपीआई की बिकवाली देखी गई।
बिकवाली के बाद, वित्तीय सेवा क्षेत्र के लिए एफपीआई आवंटन 33.23 प्रतिशत से घटकर 30 सितंबर को समाप्त पखवाड़े में 32.8 प्रतिशत रह गया। आईटी और तेल शेयरों के लिए भी निवेश 9.87 प्रतिशत (10.04 प्रतिशत से घटकर) और 8.53 प्रतिशत (8.68 प्रतिशत के मुकाबले) रह गया।
दूसरी तरफ, पूंजीगत वस्तु, उपभोक्ता सेवाओं और ऑटोमोबाइल (कलपुर्जा निर्माता समेत) क्षेत्रों में शेयरों में बाजार में मंदी के रुख के बावजूद वैश्विक निवेशकों से सकारात्मक रुझान देखने को मिला। दूरसंचार शेयरों ने एफपीआई निवेशकों को आकर्षित किया, जिससे सितंबर के दूसरे पखवाड़े के दौरान इस क्षेत्र ने कई अन्य सेगमेंटों को मात दी।