चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी बाजार में वृद्धि देखी गई और खपत में तेजी आ रही है। एफएमसीजी क्षेत्र के लिए एनआईक्यू (पुराना नाम नीलसन आईक्यू) की अप्रैल-जून तिमाही की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तिमाही के दौरान में ग्रामीण बाजार में एफएमसीजी की वृद्धि 4 फीसदी रही। इससे ठीक पहले की तिमाही यानी जनवरी-मार्च में यह 0.3 फीसदी ही बढ़ा था।
दूसरी तिमाही में बिक्री में 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले कुछ समय से खपत में कमी दिखा रहे ग्रामीण बाजार में भी इजाफा हो रहा है। एनआईक्यू की एफएमसीजी रिपोर्ट के अनुसार 2023 की दूसरी तिमाही में मूल्य के लिहाज से एफएमसीजी उद्योग 12.2 फीसदी बढ़ा है, जो इससे पिछली तिमाही के आंकड़े (10.2 फीसदी) से 2 फीसदी और पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 1.3 फीसदी ज्यादा है। 2023 की दूसरी तिमाही में बिक्री में 7.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो पिछली 8 तिमाही में सबसे अधिक है।
एनआईक्यू इंडिया में लीड (कस्टमर सक्सेस) रूजवेल्ट डिसूजा ने कहा, ‘2023 की दूसरी तिमाही करीब डेढ़ साल में सबसे अच्छी तिमाही रही और सभी श्रेणियों में अच्छी वृद्धि देखी गई। गैर-खाद्य उत्पादों की मांग बढ़ने से ग्रामीण बाजारों में भी सुधार हुआ है, जिनमें पिछली कुछ तिमाहियों में गिरावट नजर आ रही थी। इसके साथ आधुनिक व्यापार में 21 फीसदी से ज्यादा वृद्धि हुई है, जो आने वाले त्योहारों के लिहाज से जोश भर रही है।’
उन्होंने कहा, ‘इस समय उत्पादों के सही मेल और पैक के आकार पर ध्यान देना जरूरी है। यदि उत्पादन लागत में कमी का लाभ ग्राहकों को दिया गया तो खपत में इजाफा होगा, जिसका फायदा विनिर्माताओं, खुदरा विक्रेताओं और ग्राहकों समेत सभी को होगा।’
नरम पड़ रही है महंगाई
एनआईक्यू के आंकड़े ग्रामीण खपत में बढ़ोतरी बता रहे हैं मगर कंपनियों के मुताबिक उन इलाकों में अब भी मांग कमजोर है। एचयूएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी ऋतेश तिवारी ने नतीजों की घोषणा करते हुए कहा था, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अधिकांश जिंसों के दाम स्थिर बने रहे और महंगाई भी नरम पड़ रही है। इससे बिक्री में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। शहरी बाजार की अगुआई में एफएमसीजी की बिक्री एक अंक में बढ़ी है।’
उन्होंने कहा, ‘ग्रामीण बाजार में एक समय बिक्री दो अंकों में घट गई थी मगर इस तिमाही में इसमें बढ़त आई है। मगर ध्यान रहे कि बिक्री की मात्रा में इजाफा इसलिए भी है क्योंकि पिछले साल समान तिमाही में बिक्री बहुत कम थी। बाजार में दो साल की सालाना चक्रवृद्धि देखें तो मात्रा के मामले में बिक्री का इजाफा अब भी नकारात्मक ही है।’
शहरी बाजार में लगातार बढ़ रही खपत
इस बीच शहरी बाजार में खपत लगातार बढ़ती जा रही है। अप्रैल-जून तिमाही में इसमें 10.2 फीसदी बढ़त आई, जबकि साल भर पहले बढ़त का आंकड़ा 5.3 फीसदी ही था। देश भर की बात करें तो खाद्य उत्पादों की खपत इस साल की पहली तिमाही में 4.3 फीसदी
बढ़ी थी मगर दूसरी तिमाही में वृद्धि दर 8.5 फीसदी हो गई। इसमें रोजमर्रा खपत के खाद्य पदार्थों ने मांग को रफ्तार दी है। गैर खाद्य उत्पादों की खपत भी 5.4 फीसदी बढ़ गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मात्रा और मूल्य के लिहाज से एफएमसीजी की वृद्धि को असली रफ्तार छोटी कंपनियां दे रही हैं। ग्रामीण बाजार में छोटे विनिर्माताओं को ज्यादा फायदा हुआ है जबकि शहरी बाजार में इनकी वृद्धि बड़े विनिर्माताओं के लगभग बराबर रही।
ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के कार्यकारी वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने भी कहा कि क्षेत्रीय कंपनियों से पहले के मुकाबले ज्यादा होड़ मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा हमने पहले भी देखा है। जब महंगाई ऊंची रहती है तो स्थानीय कंपनियां किनारे हो जाती हैं और जब हालात सामान्य होने लगते हैं तो स्थानीय कंपनियां बाजार में चली ती हैं। ग्राहकों तथा विक्रेताओं के लिए वे बड़ी-बड़ी योजनाएं भी लाती हैं, जिनका फायदा उन्हें मिलता है। इस समय भी ऐसा ही दिख रहा है।’
एनआईक्यू इंडिया के प्रबंध निदेशक सतीश पिल्लई ने कहा, ‘देश में मुद्रास्फीति में नरमी आना और खाद्य महंगाई घटना उद्योग के लिए अच्छी खबर है। इससे लोगों में खर्च करने का हौसला बढ़ रहा है।’