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दवा की गुणवत्ता पर सरकार सख्त, 105 दवा फर्मो के खिलाफ कार्रवाई की गई

मांडविया ने कहा है कि दवा बनाने वाली कंपनियों की जांच के लिए विशेष दस्ते का गठन किया गया है और किसी भी गड़बड़ी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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सोहिनी दास   
Last Updated- July 11, 2023 | 11:21 PM IST

भारत की दवाओं की वैश्विक रूप से निगरानी बढ़ने के बीच केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि सभी छोटे व मझोले दवा विनिर्माताओं के लिए चरणबद्ध तरीके से औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 की अनुसूची-एम को अनिवार्य बनाया जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने दवा बनाने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों से कहा कि उन्हें स्वनियमन के माध्यम से बेहतर विनिर्माण गतिविधि (जीएमपी) की ओर बढ़ना चाहिए। मांडविया ने कहा, ‘इससे गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और साथ ही इससे अनुपालन बोझ कम होगा।’
औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम, 1940 की अनुसूची-एम भारत की दवा विनिर्माण इकाइयों की बेहतरीन विनिर्माण गतिविधि से जुड़ी है।

उन्होंने कहा कि भारत में विनिर्मित दवाओं की गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दवा क्षेत्र की एमएसएमई के लिए यह जरूरी है कि दवाओं की गुणवत्ता को लेकर जागरूक रहें और स्वनियमन के माध्यम से तेजी से जीएमपी की ओर कदम बढ़ाएं।

कली दवाएं बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई

दवा बनाने वाली एमएसएमई कंपनियों की दिल्ली में मंगलवार को आयोजित बैठक में उन्होंने कहा, ‘नकली दवाएं बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि मांडविया ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) को निर्देश दिया है कि नकली दवा बनाने वाली किसी भी कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सरकार गुणवत्ता का पालन न करने वाली और नकली दवाएं बनाने वाली कंपनियों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है।

मांडविया ने कहा है कि दवा बनाने वाली कंपनियों की जांच के लिए विशेष दस्ते का गठन किया गया है और किसी भी गड़बड़ी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दवा उत्पादों की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियामक प्राधिकारियों ने जोखिम के आधार पर जांच और संयंत्रों की ऑडिट शुरू की है।

105 फर्मो के खिलाफ कार्रवाई की गई

उन्होंने कहा कि 137 फर्मों की जांच की गई थी और 105 फर्मो के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 31 फर्मों का उत्पादन रोका गया है और 50 फर्मों के खिलाफ उत्पाद या जारी किए गए अनुभाग लाइसेंस रद्द करने और निलंबन की कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही 73 फर्मों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और 21 फर्मों को चेतावनी पत्र जारी किए गए हैं।

इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडीएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरंची शाह ने कहा कि इस कदम से सुनिश्चित होगा कि हर विनिर्माता पूरी तरह से अनुपालन करे।

उन्होंने कहा, ‘अगर अनुपालन में कोई चूक हो रही है तो दवा विनिर्माताओं को अब उन मसलों के समाधान करने और वह चूक खत्म करने की जरूरत है। विश्व को दवा आपूर्ति करने के मामले में भारत बेहतरीन काम कर रहा है और सरकार ने साफ किया है कि गुणवत्ता से विचलन के मामले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।’

उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि देश की 10,000 से ज्यादा दवा इकाइयों में गुणवत्ता संबंधी मानकों का अनुपालन न करने वाली दवा इकाइयां बहुत मामूली हैं। भारत के घरेलू दवा का कारोबार करीब 18 लाख करोड़ रुपये का है।

भारत से गांबिया, उजबेकिस्तान और श्रीलंका आदि में भेजी गई दवाएं खराब गुणवत्ता की पाई गई थीं, जिससे सरकार सचेत हुई है। केंद्र सरकार ने निर्यात के पहले कफ सिरप के निर्यात से पहले सरकारी लैब में जांच कराना अनिवार्य कर दिया है।

First Published : July 11, 2023 | 11:21 PM IST