दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट (Flipkart) को अपनी मूल कंपनी वॉलमार्ट और एक अन्य निवेशक से कुल 60 करोड़ डॉलर (करीब 5 हजार करोड़ रुपये) का नया निवेश मिला है। सूत्रों के मुताबिक, यह इस बात का संकेत है कि नकदी के सख्त हालात और वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच धीमी गति से बड़े सौदों की वापसी हो रही है।
साल 2021 के बाद बेंगलूरु की इस कंपनी ने पहली बार इतने बड़े स्तर पर फंड जुटाए हैं। साल 2021 में कंपनी ने सॉफ्टबैंक और अमेरिकी खुदरा दिग्गज वॉलमार्ट से 3.6 अरब डॉलर का फंड जुटाया था और तब इसका मूल्यांकन 37.6 अरब डॉलर आंका गया था।
सूत्रों के अनुसार, ताजा फंडिंग से कंपनी का मूल्यांकन पिछले 33 अरब डॉलर से बढ़ सकता है और नया मूल्यांकन 40 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। दिसंबर 2022 में जब फिनटेक फर्म फोनपे इस समूह से अलग हुई थी, तब फ्लिपकार्ट का मूल्यांकन 33 अरब डॉलर तक समायोजित किया गया था। इस उद्योग के सूत्रों का कहना है कि फ्लिपकार्ट अभी कई और निवेशकों से बातचीत कर रही है और कुल 1 अरब डॉलर का फंड जुटाना चाहती है।
मामले से जुड़े एक जानकार ने बताया, ‘फ्लिपकार्ट को उसकी मूल कंपनी वॉलमार्ट से 59.87 करोड़ डॉलर का निवेश मिला है। कंपनी इस पूंजी को अपने बुनियादी ढांचा विकास और विक्रेता सहयोग तंत्र के साथ ही आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और जेनरेटिव एआई जैसे आधुनिकतम प्रौद्योगिकी में लगाना चाहती है।’
फ्लिपकार्ट ने इस बात की पुष्टि की है कि उसे वॉलमार्ट से धन मिला है, लेकिन उसने यह नहीं बताया कि वह कुल कितनी रकम जुटाने जा रही है।
इस फंड के सहयोग से फ्लिपकार्ट को एमेजॉन, मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले रिलायंस जियोमार्ट और टाटा डिजिटल जैसे प्रतिस्पर्धियों से निपटने में मदद मिलेगी। कंपनी की रणनीति तैयार करने वाले कुछ लोगों ने बताया कि इससे कंपनी को देश में खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों तथा ग्रामीण भारत में 20 करोड़ नए ग्राहकों तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।
कारोबारी सूचना मंच टॉफलर के मुताबिक, वर्ष 2022-23 में फ्लिपकार्ट इंडिया का शुद्ध घाटा 45 फीसदी बढ़कर 4,890.6 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था, जबकि इसके पिछले वर्ष में यह 3,371.2 करोड़ रुपये रहा था।