facebookmetapixel
अमेरिका-चीन में ट्रेड फ्रेमवर्क को लेकर बनी सहमति, ट्रंप-शी मुलाकात का रास्ता साफइन्वेस्ट यूपी के बाद योगी सरकार का नया फैसला, जिला उद्योग केंद्रों को कॉरपोरेट रूप देने की योजनाQ2 Results: इस हफ्ते 300 से ज्यादा कंपनियों के नतीजे, लिस्ट में अदाणी ग्रुप की 3 कंपनियां; देखें पूरी लिस्टPSU Stock: रेलवे पीएसयू कंपनी को मिला ₹168 करोड़ का ऑर्डर, सोमवार को शेयर में दिख सकता है तगड़ा एक्शनLenskart 31 अक्टूबर को लॉन्च करेगा IPO, 2,150 करोड़ रुपये जुटाने का है लक्ष्यDividend Stocks: अगले हफ्ते Infosys, CESC और Tanla Platforms शेयरधारकों को देंगे डिविडेंड, देखें पूरी लिस्टStock Market Outlook: Q2 नतीजों से लेकर फेड के फैसले और यूएस ट्रेड डील तक, ये फैक्टर्स तय करेंगे बाजार की चालअनिल अग्रवाल की Vedanta ने $500 मिलियन बांड जारी कर कर्ज का बोझ घटायाMaruti Suzuki के दम पर भारत का वाहन निर्यात 18% बढ़ा: SIAMअदाणी की फंडिंग में US इंश्योरर्स की एंट्री, LIC रही पीछे

निर्यात शुल्क से सबसे ज्यादा मार झेलेंगे किसान

बीज बोने में लगभग 10,000 रुपये और फसल की कटाई के लिए प्रति एकड़ 10 से 15 हजार मजदूरों को देने का खर्चा है।

Last Updated- August 24, 2023 | 11:38 PM IST
Suicides by farmers drop 2.1% in 2022, farm labourers rise by 9.3%

ना​शिक में विंचूर उप-एपीएमसी के निदेशक छबूराव जाधव ने हाल ही में प्याज की कटाई करने वाले एक किसान के परिवार की कठिन परिस्थितियों से जुड़ी एक घटना के बारे में बताते हुए अपना हाथ सीने पर रख लिया। वह किसान किसी भी एपीएमसी में अपनी फसल नहीं बेच सका क्योंकि प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के केंद्र के फैसले के बाद प्याज कारोबारियों ने हड़ताल कर दी थी।

हालांकि एक किसान जिसने इस सीजन में 45 क्विंटल प्याज की फसल ली थी उसके लिए एक अवसर था क्योंकि विंचूर बाजार में प्याज की नीलामी पूरी तरह चालू थी। किसान ने बताया कि उसकी मां बीमार है और उसे सर्जरी की तत्काल आवश्यकता है। जिले में अधिकांश कृषि उपज बाजार समितियां बंद होने के कारण किसान ने हमारे बाजार का रुख किया और अपनी उपज नकद में बेच दी।

इस राशि का उपयोग बाद में उसने अपनी मां के इलाज की फीस के लिए किया। विंचूर के विपरीत लासलगांव, पिंपलगांव बड़ी मंडियां हैं, जहां हजारों किसान और कारोबारी आते हैं। नीलामी न होने कारण वहां कारोबारी व किसान कम आए। हालांकि मंडी के कार्यालयों में कुछ किसान और कारोबारियों की उपस्थिति देखी गई, जो मंडी में कामकाज शुरू होने की उम्मीद कर रहे थे।

विंचूर नासिक से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एशिया के सबसे बड़े प्याज बाजार लासलगांव से महज छह किलोमीटर दूर है। विंचूर जाते समय सड़कों के किनारे खड़े प्याज से भरे ट्रैक्टर और पिक-अप ट्रक दिखाई देने लगते हैं।

इनमें से कुछ वाहनों को इस बस्ती के पास अस्थायी प्याज भंडारण शेड के बाहर कतार में खड़े देखा जा सकता है, जो उस स्थान पर अपनी उपज उतारने का इंतजार कर रहे हैं।

जाधव कहते हैं,’ किसानों को कुछ और नहीं चाहिए, उन्हें सिर्फ अपने प्याज की अच्छी कीमत चाहिए। इस समय प्याज अधिकतम 2,511 रुपये क्विंटल के भाव पर कारोबार कर रहा है। पीक सीजन में विंचूर मंडी में प्याज की रोजाना 15 से 20 हजार क्विंटल आवक होती है। उनके इस बाजार को खुला रखने का एकमात्र कारण यह है कि वह स्वयं एक किसान हैं और मैं उस दर्द को समझ सकते हैं जब वे इसमें पैसा लगाने के बाद अपनी फसल काटने के बावजूद नहीं बेच पाते हैं।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने कई किसानों से बात की जिसमें उन्होंने कहा कि एक एकड़ में प्याज पैदा करने के लिए उन्हें 90 हजार रुपये से 1.30 लाख रुपये की आवश्यकता होती है। निफाड़ जिले के किसान गौरव भंडारे ने कहा कि एक एकड़ में 8 से 10 हजार रुपये बीज, 12 से 14 रुपये जुताई पर खर्च होते हैं।

बीज बोने में लगभग 10,000 रुपये और फसल की कटाई के लिए प्रति एकड़ 10 से 15 हजार मजदूरों को देने का खर्चा है। इसके अतिरिक्त खाद पर 20 से 25 हजार रुपये के साथ ही करीब 15 हजार रुपये कीटनाशकों पर खर्च करने पड़ते हैं।

राज शिंदे (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि इस सीजन में निर्यात शुल्क लगाने की घोषणा के बाद प्याज की उत्पादन लागत निकालना भी लगभग नामुमकिन हो गया है। लासलगांव एपीएमसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि निर्यात कर का वास्तविक बोझ किसानों पर पड़ेगा।

First Published - August 24, 2023 | 11:12 PM IST

संबंधित पोस्ट