यूरोपीय बाजार नियामक यूरोपियन सिक्योरिटीज ऐंड मार्केट अथॉरिटी (एस्मा) भारतीय नियामकों के साथ एक समझौते पर बात कर रहा है, जिससे भारतीय बॉन्ड एवं डेरिवेटिव्स व्यापार में यूरोपीय बैंकों की भागीदारी पर जारी गतिरोध खत्म हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते ही इस तरह का एक समझौता बैंक ऑफ इंगलैंड के साथ किया। इससे भारतीय बॉन्ड एवं डेरिवेटिव्स बाजार में ब्रिटेन के बैंकों की भागीदारी पर विवाद खत्म हो जाएगा। इस समझौते के बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड भी किसी तीसरे देश के सेंट्रल काउंटरपार्टी (सीसीपी) के रूप में मान्यता की क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की अर्जी पर विचार कर पाएगा। ब्रिटेन के बैंक इस मान्यता के बाद ही क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिये लेनदेन कर पाएंगे।
एस्मा के प्रवक्ता ने ईमेल के जरिये बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘फिलहाल एस्मा ईएमआईआर (यूरोपियन मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर रेग्यूलेशन) का अनुपालन करने वाले समझौते पर भारतीय अधिकारियों के साथ सक्रियता से बातचीत कर रहा है।’
प्रवक्ता ने बताया एस्मा ने हाल में चिली, चीन, कोलंबिया, इंडोनेशिया, मलेशिया और ताइवान के नियामकों तथा यूएस एसईसी के साथ नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
उसने कहा, ‘इस समय दुनिया भर में 39 टीसी-सीसीपी वाले प्राधिकरणों के साथ ईएमआईआर का अनुपालन करने वाले 25 समझौतों को एस्मा की मान्यता मिली है।’
मगर प्रवक्ता ने बातचीत के खास बिंदुओं के बारे में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। निरीक्षण, ऑडिट और विभिन्न देशों की सेंट्रल काउंटरपार्टी पर जुर्माना लगाए जाने के बारे में उसने कुछ भी नहीं कहा। रिजर्व बैंक को जुर्माने के प्रावधान पर आपत्ति है।
एस्मा ने कहा, ‘कोई भी समझौता ईएमआईआर के अनुरूप होना जरूरी है।’ ईएमआईआर के तहत सभी डेरिवेटिव्स की जानकारी ट्रेड रिपॉजिटरी को देना जरूरी है। साथ ही इसमें दोनों पक्षों द्वारा मंजूर किए गए ओटीसी डेरिवेटिव्स के लिए परिचालन जोखिम और काउंटरपार्टी क्रेडिट जोखिम कम करने के उपाय भी शामिल हैं।
रिजर्व बैंक को इस बारे में जानकारी लेने के लिए ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक उसका कोई जवाब नहीं आया।
एस्मा ने अक्टूबर 2022 में कहा था कि वह क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया सहित उन छह भारतीय क्लियरिंग हाउसों की मान्यता रद्द कर देगा, जो सरकारी बॉन्ड और ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म हैं। यह फैसला तब लिया गया, जब आरबीआई ने विदेशी संस्थाओं को सीसीआईएल का ऑडिट एवं निरीक्षण करने का अधिकार देने से इनकार कर दिया। मगर मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया को फ्रांस और जर्मनी के नियामकों ने अक्टूबर 2024 तक के लिए टाल दिया था।
यूरोपीय संघ ने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से सीख लेते हुए प्रणालियों को मजबूत एवं सुरक्षित करने के लिए 2012 में नए बाजार बुनियादी ढांचा नियम लागू किए थे। इनके तहत किसी अन्य देश की सेंट्रल काउंटरपार्टियों को एस्मा द्वारा मान्यता दिए जाने का प्रावधान है।
अमेरिकी बैंकों को भारत में कुछ डेरिवेटिव्स उत्पादों से पहले ही बाहर रखा गया है क्योंकि यूएस कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमीशन ने सीसीआईएल को डेरिवेटिव्स क्लियरिंग संगठन की मान्यता नहीं दी है।